Saturday, November 12, 2011

औद्योगिक विकास की निकली हवा


वैिक बाजार के गड़बड़ हालात तथा देश में महंगाई तथा ऊंची ब्याज दरों के बीच सितम्बर में देश की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर गिर कर 1.9 फीसद रह गई। यह औद्योगिक वृद्धि का दो साल का न्यूनतम स्तर है और इससे लगता है कि आंतरिक और बाह्य कठिनाइयों के चलते उद्योग की गाड़ी नरमी के दलदल में पड़ गई है। सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी आईआईपी के आंकड़ों के बाद देश में सख्त ब्याज दर नीति में बदलाव के स्वर मुखर होने लगे है और उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक अगले माह अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में वृद्धि के सिलसिले पर विराम लगा सकता है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने सितम्बर में औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों को निराशाजनक करार दिया है, वहीं मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा है कि अब समय आ गया है जब रिजर्व बैंक को अपने सख्त मौद्रिक नीति रुख पर पुनर्विचार करना चाहिए। आज जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर आधारित औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई है और यह सितम्बर माह में 1.9 फीसद रही है। पिछले साल सितम्बर में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 6.1 फीसद थी। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितम्बर के दौरान आईआईपी की वृद्धि दर पांच फीसद रही जो बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में 8.2 फीसद थी। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने इसे सुस्त बताया है। औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार घटने की मुख्य वजह खनन और विनिर्माण क्षेत्र का खराब प्रदर्शन है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इन क्षेत्रों की हिस्सेदारी तीन चौथाई से अधिक है। भारतीय उद्योग जगत ने मांग की है कि अब रिजर्व बैंक को अपने रुख को पलटना चाहिए और ब्याज दरों में कमी करनी चाहिए। हालांकि योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा है कि ब्याज दरों और औद्योगिक उत्पादन के बीच किसी तरह का संबंध नहीं है।
औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार घटने का सिलसिला जुलाई से शुरू हुआ था। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 3.84 फीसद पर आ गई थी जो जून माह में 9.45 फीसद पर थी। अगस्त माह में यह और घटकर 3.59 फीसद रह गई। समीक्षाधीन माह में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर केवल 2.1 फीसद रही जो बीते साल सितम्बर में 6.9 फीसद थी। इसी तरह खनन क्षेत्र के उत्पादन में सितम्बर में 5.6 फीसद की गिरावट दर्ज की गई, जबकि बीते साल सितम्बर में इसमें 4.3 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई थी। इसी तरह पूंजीगत सामान उत्पादन सितम्बर में 6.8 फीसद घटा, जबकि 2010 के सितम्बर में इसमें 7.2 फीसद की वृद्धि देखी गई थी। वहीं माध्यमिक वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि दर घटकर महज डेढ़ प्रतिशत रही जो सितम्बर, 2010 में 4.6 प्रतिशत थी। इस दौरान, गैर टिकाऊ उपभोक्ता सामान के उत्पादन में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि बीते साल सितंबर में इसमें 5.8 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी। हालांकि समीक्षाधीन माह में बिजली उत्पादन में नौ प्रतिशत का सुधार दर्ज किया गया जो सितम्बर, 2010 में महज 1.8 प्रतिशत था। रंगराजन ने कहा, ‘सितम्बर माह के आईआईपी आंकड़े खराब हैं पर मार्च से इसमें बढ़ोतरी की उम्मीद है। पहले हमने वित्त वर्ष के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। पर अब यह 6 प्रतिशत के आसपास रहेगा।

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