Monday, November 14, 2011

ईधन सब्सिडी बढ़ने से और बढ़ेगी महंगाई



प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि पेट्रोलियम पदाथोर्ं के दाम कम करने के लिए तेल कंपनियों को अधिक सब्सिडी देने से सरकारी बजट पर बोझ बढ़ेगा और आखिर में इससे मुद्रास्फीति की स्थिति और खराब होगी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यदि कच्चे तेल के दाम बढ़ते हैं तो हमें या तो घरेलू बाजार में खुदरा कीमतें बढ़ानी होेंगी या फिर तेल कंपनियों को बढ़ी कीमतों को पेट्रोलियम क्षेत्र के दूसरे क्षेत्रों में मदद कम कर स्वयं वहन करने के लिए कहा जाएगा अथवा सरकार को बजट से तेल कंपनियों को अतिरिक्त सब्सिडी उपलब्ध करानी होगी।
मनमोहन ने दक्षेस सम्मेलन से लौटते हुए संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा और ज्यादा सब्सिडी देने से बजट की स्थिति और बिगड़ेगी और यदि बजट गड़बड़ाता है तो एक बार फिर से मुद्रास्फीति अपना सिर उठाने लगेगी।प्रधानमंत्री ने कहा मुद्रास्फीति जो आज हर व्यक्ति के लिए बड़ी चिंता बन चुकी है उसके पीछे की एक सबसे बड़ी वजह ईंधन उत्पादों के दाम में वृद्धि होना है। उन्होंने कहा कि देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल खपत का 75 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात के जरिए पूरा होता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम पर सरकार का कोई नियंतण्रनहीं है। उन्होंने कहा, ‘बजट से दी जाने वाली सब्सिडी राशि पहले ही 1,50,000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है और स्पष्ट तौर पर कहें तो यह स्थिति लंबे समय तक नहीं चल सकती है।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं यह कहना चाहता हूं कि सभी देशवासियों को यह मानना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने पर एक निश्चित सीमा के बाद हमारा कोई नियंतण्रनहीं रह पाता है।
उल्लेखनीय है कि तेल कंपनियों ने इस महीने की शुरुआत में ही पेट्रोल के दाम में 1.80 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डालर की तुलना में रुपये के कमजोर पड़ने से दाम बढ़ाने पड़े। देश में मूल्यवृद्धि को लेकर पूछे गए सवाल पर मनमोहन ने कहा, ‘मुद्रास्फीति चिंता का विषय है मैं इसे लेकर इनकार नहीं कर रहा हूं विशेषकर खाद्य मुद्रास्फीति बड़ी चिंता है।हालांकि, उन्होंने कहा कि खाद्यान्न के मामले में स्थिति इतनी खराब नहीं है और इसके दाम करीब करीब स्थिर बने हुये हैं। लेकिन अंडा, मछली, सब्जियों तथा कुछ अन्य उत्पादों के दाम ऊंचे हैं।इनकी मांग इनके उत्पादन में वृद्धि के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। इनकी आपूर्ति में आने वाली अड़चनों को दूर करना होगा, जिसमें कुछ समय लग सकता है। प्रधानमंत्री ने भी माना कि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज होने की वजह से भी कुछ मुद्रास्फीति बढ़ी है। अर्थव्यवस्था सालाना 7.5 से 8 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है इसकी वजह से भी मुद्रास्फीति पर कुछ असर पड़ा है। यदि अर्थव्यवस्था आठ प्रतिशत सालाना की रफ्तार से बढ़ती है तो प्रतिव्यक्ति आय में भी सालाना 6.5 प्रतिशत वृद्धि होती है।

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