Tuesday, November 29, 2011

जिंस के वायदा कारोबार पर नहीं लगेगी रोक


जिंस के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है। हमेशा की तरह सरकार ने एक बार फिर कहा है कि महंगाई बढ़ाने में वायदा बाजार का कोई योगदान नहीं है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यसभा को एक लिखित जवाब में बताया कि कमोडिटी एक्सचेंजों में मौजूदा समय में जिन खाद्य जिंसों का कारोबार हो रहा है, उन्हें प्रतिबंधित करने का केंद्र सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं है। इस समय कमोडिटी एक्सचेंजों में 24 खाद्य जिंसों में वायदा कारोबार किया जाता है। इनमें गेहूं, जौ, चना, चीनी, आलू और कच्चा पाम तेल शामिल हैं। थॉमस ने कहा कि खाद्य जिंसों में हालिया तेजी सब्जियों, मांस, दूध, मछली और फलों में देखने को मिली हैं। उन्होंने कहा कि इनका कमोडिटी एक्सचेंजों में कारोबार नहीं किया जाता है। खाद्य सुरक्षा को लेकर एक सवाल के जवाब में थॉमस ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के मामले में भारत 81 देशों में 67वें स्थान पर है, लेकिन देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति में गिरावट नहीं आई है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) में भारत को रवांडा से नीचे 67 वें स्थान पर रखा गया है। जीएचआइ पहले के आंकड़ों पर आधारित है। यह खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और वितरण में मौजूदा वृद्धि को ध्यान में नहीं रखता। पिछले पांच वर्षो के दौरान न केवल चावल और गेहूं का उत्पादन बढ़ा है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप खरीद के साथ-साथ खाद्यान्नों का वितरण भी कई गुना बढ़ा है। बिजली क्षेत्र को लेकर एक सवाल के जवाब में बिजली राज्यमंत्री केसी वेणुगोपाल ने राज्यसभा को बताया कि इस वर्ष अप्रैल-अक्टूबर 2011 के दौरान बिजली उत्पादन पिछले साल से 8.6 प्रतिशत अधिक रहा है। हालांकि, कोयले की कमी के कारण बिजली कंपनियों को 5.3 अरब यूनिट के बिजली उत्पादन की हानि हुई। देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष की समान अवधि में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी। वेणुगोपाल ने कहा कि कोयला मंत्रालय से कहा गया है कि देश में कोयला उत्पादन बढ़ाया जाए। बिजली इकाइयों को भी कोयले की जरूरत और घरेलू स्रोतों से उपलब्धता के बीच के अंतर को पाटने के लिए कोयले का आयात करने का सुझाव दिया गया है।

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