पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली असम गैस क्रैकर परियोजना की लागत एक बार फिर बढ़ा दी गई है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इस परियोजना की लागत मौजूदा 5,460.61 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 8,920 करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इस परियोजना में दिसंबर, 2013 से उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह परियोजना पूर्वोत्तर राज्यों में प्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा देने में काफी अहम साबित होगी। इसके अलावा सीसीईए ने जूट वर्ष 2011-12 के दौरान भी खाद्य उत्पादों व गन्ने के 90 फीसदी उत्पादन की पैकिंग जूट की बोरी में करने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दिखा दी है। सरकार का यह फैसला जूट मिलों में कार्यरत 3.7 लाख कामगारों की रोजीरोटी को बनाए रखेगा। केंद्र सरकार हर वर्ष जूट उद्योग को संरक्षण देने के वास्ते यह फैसला करती है। सीसीईए ने एक अन्य फैसले के तहत लोहरीनाग परियोजना पर रोक लगाने से एनटीपीसी को होने वाली हानि की भरपाई का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्षता बिजली मंत्रालय करेगा। नवंबर, 2010 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण ने इस जलविद्युत परियोजना को रोकने का फैसला दिया था। एनटीपीसी इस परियोजना पर तब तक लगभग 800 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी थी। यह समिति यह भी देखेगी कि परियोजना से यहां के क्षेत्र को जो पर्यावरणीय हानि हुई है उसकी भरपाई किस तरह से की जाए। उधर, कैबिनेट ने आयात-निर्यात बैंक (संशोधन) विधेयक, 2011 को पेश करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। यह विधेयक एक्जिम बैंक के मौजूदा पूंजी आधार को दो हजार करोड़ रुपये से बढ़ा कर 10 हजार करोड़ रुपये करने का रास्ता भी साफ करेगा। इस तरह से इसके पूंजी आधार में एकमुश्त पांच गुणा की वृद्धि होगी। साथ ही इसमें यह प्रावधान भी किया जा रहा है कि अगर भविष्य में सरकार को इस बैंक के पूंजी आधार में और वृद्धि करने की जरूरत महसूस होती है तो बिना संसद गए भी कर सकती है। बहरहाल, बैंक अब निर्यातकों व आयातकों को ज्यादा कर्ज मुहैया करा सकेगा।
No comments:
Post a Comment