दो वर्ष पहले की वैश्विक मंदी से बेदाग निकल आई भारतीय अर्थव्यवस्था बेदम होने लगी है। महंगाई के सामने घुटने टेक चुकी केंद्र सरकार अब रुपये की गिरती कीमत को थामने में असफल दिख रही है। रिजर्व बैंक ने रुपये की मदद के लिए मुद्रा बाजार में अभी डॉलर छोड़ने का फैसला नहीं किया है। वहीं वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी मान रहे हैं कि रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से स्थिति सुधरने की उम्मीद कम है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी चेतावनी की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालात नहीं संभले तो अर्थव्यवस्था मंदी में फंस सकती है। मुद्रा बाजार में रुपया रोज नए रसातल तलाश रहा है। आज के कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले यह 52.73 के स्तर पर आ गया जो एक रिकॉर्ड है। बाजार बंद होने के समय यह 52.30 के स्तर पर रहा। पिछले सात कारोबारी दिन में इसमें 2.17 रुपये की गिरावट आई है। एफआइआइ की बिकवाली व तेल कंपनियों की मांग इसके लिए एक बड़ी वजह बताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि संभलने से पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 54 के स्तर तक जा सकता है। रुपये की कमजोरी पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी भी निराश दिख रहे हैं। मंगलवार को प्रणब ने कहा कि रिजर्व बैंक हस्तक्षेप तो करेगा लेकिन इससे बहुत फायदा नहीं होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय निवेशक बाजार में बिकवाली कर रहे हैं। सरकार में बदहवासी का भी आलम है। यही वजह है कि डालर के मुकाबले रुपये के अब तक के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर 52.70 छूने के बाद भी न तो रिजर्व बैंक और न ही सरकार सक्रिय नजर आए। रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने केवल इतना कहा, रुपये की कीमत थामने के लिए हस्तक्षेप किया जाए या नहीं इसको लेकर हमने अभी फैसला नहीं किया है। महंगाई को लेकर भी सरकार पूरी तरह से अंधेरे में है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में महंगाई को लेकर मंगलवार को 12 पन्नों का बयान तो दिया है लेकिन इस पर काबू पाने का कोई भरोसा नहीं दिलाया। वित्त मंत्री ने महंगाई बढ़ने के लिए मांग व आपूर्ति के बीच सामजंस्य नहीं बनने को दोषी बताया। उन्होंने कहा, जब भी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती है तो ऐसे हालात बनते हैं। हमें उम्मीद है कि अगले छह से 12 महीनों के बीच महंगाई पर काबू पा लिया जाएगा। राज्यों को भी इस काम में हाथ बंटाना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि मार्च, 2012 तक महंगाई की दर छह से सात फीसदी के करीब आ जाएगी। मंगलवार को आरबीआइ गवर्नर ने ब्याज दरों में एक और वृद्धि के संकेत दिए।
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