Wednesday, November 30, 2011

एफडीआइ के फैसले पर पीएम अडिग


खुदरा (रिटेल) कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को मंजूरी के फैसले पर संसद से सड़क तक मचे कोहराम के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहली बार मुंह खोला और विपक्ष पर जमकर बरसे। मनमोहन सिंह ने युवक कांग्रेस सम्मेलन के मंच पर मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व महासचिव राहुल गांधी की मौजूदगी में इसे सोचा- समझा व देशहित में लिया गया फैसला बताते हुए अपने कुनबे और विपक्ष को साफ कर दिया है कि सरकार रोलबैक नहीं करेगी। वहीं, सोनिया ने इस बारे में पत्ते नहीं खोले। हालांकि पार्टी इस मुद्दे पर मनमोहन के साथ है, लेकिन मौजूदा हालात में नेतृत्व इस मुद्दे पर बिल्कुल उड़ने का हामी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान ने सरकार से कहा है कि यदि विपक्ष नहीं मानता है और संप्रग सहयोगी भी अड़े रहते हैं,तो शीर्ष नेतृत्व को लचीला रवैया अपनाना चाहिए। यद्यपि कांग्रेस नेतृत्व एफडीआइ के खिलाफ नहीं है, लेकिन अगर सियासी नुकसान की बात आई तो उसे रोलबैक से भी परहेज नहीं है। शायद यही कारण था कि प्रधानमंत्री ने युवक कांग्रेस के उस मंच से एफडीआइ की पुरजोर पैरवी की, जहां सोमवार को इसके विरोध में कुछ स्वर उठे थे। प्रधानमंत्री ने दो टूक कहा, हमने ये फैसला जल्दबाजी में नहीं, बल्कि बहुत सोच-समझकर लिया है। यह देश हित में है। रिटेल एफडीआइ से आधुनिक तकनीक आएगी और कृषि उत्पादों की बर्बादी कम होगी और किसानों को फायदा मिलेगा। थोक और खुदरा कीमत में अंतर कम होगा, जिससे लोगों को रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ते में मिलेगी। छोटे खुदरा व्यापारियों के खत्म होने की आशंका को भी नकारते हुए उन्होंने कहा, हमारा अनुभव है कि छोटे और बड़े दोनों साथ काम कर सकते हैं। हमने अपने फैसले में कुछ शतर्ें भी रखी हैं। कोई जोर-जबरदस्ती नहीं है। जिन राज्य सरकारों को ऐसा करने में फायदा नहीं नजर आता है, तो उनके पास एफडीआइ रोकने के उपाय हैं। प्रधानमंत्री ने दावा किया रिटेल में एफडीआइ से खाद्य एवं परिवहन जैसे तमाम क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा कि वे इस विषय में जनता को सही जानकारी दें। खास बात थी कि सोमवार को इस मुद्दे पर कुछ आशंकित दिख रहे युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता प्रधानमंत्री के बयान पर ताली पीट रहे थे। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री ने लोकपाल और शिक्षा का अधिकार समेत तमाम अहम विधेयकों का उल्लेख करते हुए संसद बाधित करने के विपक्ष के रवैये को अन्यायपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से लेकर तमाम मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर संसद की मंजूरी जल्द से जल्द जरूरी है, लेकिन विपक्षी दल इस सत्र में ऐसा नहीं होने दे रहे हैं, लेकिन उम्मीद है कि संसद का काम संचालित होने का रास्ता निकलेगा। प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद महंगाई, कालाधन और एफडीआई के मुद्दे पर दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो पा रहा है।

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