Wednesday, November 30, 2011

वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता से गिरा रुपया


डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आई गिरावट के लिए सरकार ने वैश्विक हालात को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार के मुताबिक, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और मांग-आपूर्ति असंतुलन के कारण यह गिरावट आई है। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि रुपये में कमजोरी का मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक माहौल में अनिश्चितता है। विशेषकर यूरो क्षेत्र का कर्ज संकट सामने आने के बाद विदेशी मुद्रा बाजार में विदेशी संस्थागत निवेश प्रवाह प्रभावित हुआ है। मुखर्जी ने कहा कि रुपये की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव की वजह घरेलू विदेशी विनिमय बाजार में मांग-आपूर्ति में असंतुलन आना है। वर्ष 2011 में अब तक रुपया डॉलर की तुलना में 14.8 प्रतिशत टूटा है। 3 जनवरी को 44.67 रुपये प्रति डॉलर था, जो 25 नवंबर को 52.42 रुपये प्रति डॉलर हो गया। मुखर्जी ने बताया कि एक करोड़ या उससे अधिक का कर्ज लेने वाले लोगों पर बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का कुल 47,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी कर्ज राशि समय पर नहीं लौटाने वाले कुल 4,102 चूककर्ता लोग या संस्था हैं। रिजर्व बैंक आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय संस्थाओं का 10 करोड़ रुपये या इससे अधिक का बकाया रखने वाले डिफॉल्टर की संख्या 31 मार्च 2011 तक 723 थी। इन पर 26,165.51 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं, नमो नारायण मीना ने बताया कि सार्वजनिक उपक्रम के बैंकों ने औद्योगिक घरानों को मार्च 2010 की स्थिति के हिसाब से 14,12,542.71 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। वहीं, वित्त राज्यमंत्री नमोनारायण मीणा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मूडीज द्वारा भारतीय बैंकिंग प्रणाली की रेटिंग घटाने का कोई दीर्घकालिक असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्थिति मजबूत है। मीणा ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। अमेरिकी साख निर्धारक एजेंसी मूडीज इंवेस्टर सर्विस ने इस महीने भारत की बैंकिंग प्रणाली के प्रति अपनी रेटिंग को स्थिर से बदलकर नकारात्मक किया था। एजेंसी ने इसका कारण उच्च मुद्रास्फीति, कड़ी मौद्रिक नीति और तेजी से बढ़ती ब्याज दरों को बताया। मंत्री ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र और सरकार की ओर से चुनौतियों से निपटने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की चुनौतियां भारत के बाहर से आ रही हैं। भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि चीन से औद्योगिक मशीनरी का आयात बढ़ने से घरेलू उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पिछले वित्त वर्ष में चीन से इस मशीनरी का आयात 15,083 करोड़ रुपये का रहा। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा 7,970 करोड़ रुपये के ऊर्जा संयंत्र उपकरणों का रहा है। पटेल ने कहा कि कम कीमतों के कारण चीन से आयात में वृद्धि हुई है और इससे घरेलू उद्योग प्रभावित हो रहा है। कर संग्रह को लेकर एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री एसएस पलानिमनिकम ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में आयकर रिफंड पर दिया ब्याज 45 फीसदी बढ़कर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह ब्याज 6,867 करोड़ रुपये रहा था।

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