Friday, November 25, 2011

मल्टीब्रांड रिटेल कारोबार में एफडीआई को हरी झंडी

केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए बहुब्रांड खुदरा कारोबार में बहु ब्रांड में 51 फीसद तथा एकल ब्रांड में 100 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी। इससे देश में विदेशी डिपार्टमेंटल स्टोर खुलने का रास्ता साफ हो गया है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सहारा ने अपने बृहस्पतिवार के अंक में ही इस बारे में विस्तृत जानकारी दे दी थी। कैबिनेट के फैसले की घोषणा होते ही विरोध का दौर भी शुरू हो गया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यूपीए के प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस की आपत्तियों और मुख्य विरोधी दल भाजपा तथा वामदलों के तीव्र विरोध के बावजूद कैबिनेट ने इस विवादास्पद मुद्दे पर आज फैसला कर लिया। तृणमूल कांग्रेस को मनाने के लिए प्रधानमंत्री ने दिनेश त्रिवेदी को कैबिनेट की बैठक से पहले बुलाकर समझा लिया था। आज तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी भी दिल्ली में ही थीं। सरकार के इस फैसले से खुदरा बाजार की दिग्गज वालमार्ट, टेस्को और कैरीफोर जैसी कंपनियों को खरबों रुपए के खुदरा भारतीय कारोबार में प्रवेश मिलने का रास्ता खुल गया है। मंत्रिमंडल सचिव अजित कुमार सेठ की अध्यक्षता वाली समिति ने खुदरा कारोबार में 51 फीसद विदेशी निवेश को कुछ शतरे के साथ मंजूरी दी थी। इन शतरे में कम से कम दस करोड़ डालर का न्यूनतम निवेश करने तथा कारोबार के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादों का उपयोग करने की बात शामिल थी। करोड़ों लोगों के जीविकोपार्जन से जुड़े इस असंगठित क्षेत्र में विदेशी कंपनियों की घुसपैठ के खिलाफ भाजपा और वामदलों ने मुहिम छेड़ रखी है जबकि सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की भी इस संबंध में कई आपत्तियां हैं। संसद की स्थायी समिति ने खुदरा व्यापार से विदेशी कंपनियों को अलग रखने का सुझाव दिया था। सरकार के आज के फैसले से देश के 53 बड़े शहरों में वालमार्ट, कैरीफोर और टेस्को जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने खुदरा स्टोर श्रृंखला खोलने का मार्ग प्रशस्त होगा। देश के 590 अरब डालर (29.50 लाख करोड़ रुपए) के खुदरा कारोबार के लिए सरकार का यह निर्णय पूरी तस्वीर बदलने वाला होगा। इसमें खाद्य वस्तुओं, नई जीवन शैली और खेलकूद सामान के व्यवसाय में कंपनियां उतरी हैं। सरकार के ताजा निर्णय के बाद अब एडीडास, गुकी, हम्रेस, एलवीएमएच और कोस्टा कॉफी जैसी कंपनियां पूर्ण स्वामित्व के साथ कारोबार कर सकेंगी। कंपनी विधेयक 2009 को मंजूरी : शेयरधारकों को कंपनियों के कामकाज पर निगरानी रखने तथा कंपनियों को सामाजिक दायित्व निर्वाहन (सीएसआर) के लिए अपने मुनाफे की दो फीसद धनराशि अनिवार्य रूप से खर्च करने के प्रावधान वाले कंपनी विधेयक 2009 को आज कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी। इस विधेयक को अब संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में काफी समय से लंबित इस विधेयक को स्वीकृति दी गई। देश में भ्रष्टाचार और कंपनियों में घोटाले की पृष्ठभूमि में लाए जाने वाले इस विधेयक के जरिए पहली बार भारत में निवेशकों की सामूहिक कार्रवाई के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है। गड़बड़ी करने वाली कंपनियों के खिलाफ निवेशकों को आवाज उठाने तथा दोषी कंपनियों क्षतिपूर्ति हासिल करने का अधिकार दिया गया है। विधेयक में कंपनियों के लिए बाजार से धन जुटाने संबंधी कानून को भी कड़ा बनाने का प्रावधान है। कंपनी के निदेशकों और अधिकारियों द्वारा मिलीभगत से भेदिया कारोबार पर भी रोक लगाने का प्रावधान है तथा ऐसी गतिविधियों को आपराधिक कृत्य माना जाएगा। 

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