Sunday, December 26, 2010

2011 में भी महंगा रहेगा कर्ज

उद्योग मंडल एसोचैम का अनुमान
नई दिल्ली (एजेंसी)। उद्योग मंडल एसोचैम का मानना है कि बैंकिंग तंत्र में नकदी की कमी तथा महंगाई की ऊंची दर से वर्ष 2011 में भी ब्याज दरंे ऊंची रहेंगी। महंगाई दर में अभी और वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक 25 जनवरी की अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरांे में एक बार फिर से वृद्धि कर सकता है। चैंबर ने कहा है कि मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ रहा है और दुनिया भर में वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं। कच्चा तेल भी 90 डालर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच चुका है। एसोचैम ने कहा है कि मुद्रास्फीति की ऊंची दर की वजह से केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति को कड़ा कर सकता है। इससे जहां उपभोक्ता खर्च में कमी आएगी, वहीं महंगाई पर भी अंकुश लगेगा। इस पूरे साल अभी तक सकल मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति दोनों उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। गत 11 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति एक बार फिर से दो अंक यानी 12.13 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सब्जियों खासकर प्याज के दामांे में तेजी से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ी है। वहीं सकल मुद्रास्फीति की दर नवंबर माह में 7.48 प्रतिशत रही है। इससे पिछले महीने यह 8. 58 फीसद पर थी। एसोचैम अध्यक्ष दिलीप मोदी ने कहा, ‘‘दिन काफी कठिनाई वाले हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के पास विकल्प काफी सीमित हैं। महंगाई की वजह से वृद्धि दर को रोका नहीं जा सकता है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि अगली मौद्रिक नीति की समीक्षा में दरांे में वृद्धि होगी।’’ चैंबर का मानना है कि ऋण वृद्धि से भी नकदी संकट पैदा हुआ है। वर्ष 2011 में भी यही स्थिति बने रहने की संभावना है, क्योंकि मुद्रास्फीति की ऊंची दर की वजह से निवेशक बैंकांे के पास फंड नहीं रख रहे हैं। जमा की वृद्धि दर कम रहने से इसका संकेत मिलता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि नकदी संकट की वजह बैंकांे की जमा में वृद्धि की धीमी रफ्तार है। इसका एक कारण यह भी है कि ग्राहकांे को बैंक जमाओं पर आकषर्क रिटर्न नहीं मिल रहा है।
महंगाई दर में और वृद्धि का अनुमान आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा (25 जनवरी) में नीतिगत दरांे में एक बार फिर से वृद्धि की संभावना मुद्रास्फीतिक दबाव और दुनिया भर में वस्तुओं के दामों में वृद्धि

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