Tuesday, December 21, 2010

प्याज निर्यात पर लगी पाबंदी

घरेलू बाजार में प्याज के बढ़ते दामों से घबराई सरकार ने सोमवार को इसके निर्यात पर रोक लगा दी। फिलहाल यह रोक 15 जनवरी, 2011 तक रहेगी। इतना ही नहीं, सरकार ने प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य को भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया है, ताकि इसका निर्यात लगभग नामुमकिन हो जाए। प्याज के दाम इस समय खुदरा बाजार में 60 से 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। प्याज की तेजी से बढ़ती कीमतों के मद्देनजर आनन-फानन में सोमवार को बैठक बुलाकर इसके निर्यात को अस्थायी तौर पर रोकने का फैसला लिया गया। चूंकि बेमौसम की बारिश से राजस्थान और महाराष्ट्र में प्याज की फसल खराब हो गई है। इसके चलते घरेलू बाजार में प्याज के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। कीमतों में यह भारी तेजी बीते चार-पांच दिनों में आई है। इस तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए ही सरकार ने प्याज का निर्यात रोका है। विदेश नहीं जाने से घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति बढ़ेगी। इसका असर कीमतों में नरमी के रूप में नजर आ सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की मांग बढ़ने से विदेश में दाम चढ़े हैं, इससे प्याज का निर्यात कारोबारियों के लिए फायदे का सौदा बनता जा रहा था। इसीलिए सरकार ने प्याज का एमईपी मौजूदा 525 डॉलर से बढ़ाकर 1200 डॉलर प्रति टन कर दिया है। साथ ही सरकार ने सोमवार को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने की प्रक्रिया भी रोक दी है। निर्यातकों को यह एनओसी नैफेड और 12 अन्य सरकारी एजेंसियां जारी करती हैं। घरेलू खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें पिछले कुछ ही दिनों में 25-30 रुपये से बढ़कर 60 से 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। हालांकि प्याज की नई फसल अगले महीने तक बाजार में आने लगेगी, लेकिन तब तक प्याज की कीमतें काबू में रखने के लिए सरकार ने प्याज का निर्यात रोका है. विदेश नहीं जाने से घरेलू बाजार में प्याज के दाम आसमान पर पहुंच गए है. कीमतों में यह भारी तेजी बीते ४-५ दिनों में आई है. इस तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए सरकार ने प्याज का निर्यात रोका है. विदेश नही जाने से घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति बढेगी. इसका असर कीमतों में नरमी के रूप में नजर आ सकता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्याज की मांग बढने से विदेश में दाम चढ़े है, इससे प्याज का निर्यात कारोबारियों के लिए फायदे का सौदा बनता जा रहा था. इसलिए सरकार ने प्याज का एमईपी मौजूदा ५२५ डॉलर से बढाकर १२०० डॉलर प्रति टन कर दिया है. साथ ही सरकार ने सोमवार को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने की प्रक्रिया भी रोक दी है. निर्यातकों को यह एनओसी नैफेड और १२ अन्य सरकारी एजेंसियां जारी करती है.

घरेलू खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें पिछले कुछ ही दिनों में २५-३० रूपए से बढ़कर ६० से ७० रूपए प्रति किलो तक पहुंच गयी है. हालांकि प्याज की नयी फसल अगले महीने तक बाजार में आने लगेगी, लेकिन तब तक प्याज की कीमतें काबू में रखने के लिए सरकार निर्यात पर रोक लगाने के उपाय को आजमा रही है.

लहसुन भी रिकॉर्डतोड़
नई दिल्ली, एजेंसी : प्याज ही नहीं लहसुन भी रसोई का बजट बिगाड़ने पर आमादा है। निर्यात और सर्दियों की मांग बढ़ने से दिल्ली में लहसुन ने तेजी का रिकॉर्ड बना दिया है। दिल्ली की थोक मंडी आजादपुर में लहसुन का थोक भाव 130-170 रुपये प्रति किलो के बीच बोला जा रहा है। पिछले एक-डेढ़ महीने में इसकी कीमतें 30-40 फीसदी तक बढ़ गई हैं। पिछले दस-पंद्रह साल में लहसुन का यह सबसे ऊंचा स्तर है। व्यापारियों का कहना है कि उत्पादक क्षेत्रों से आवक कमजोर रहने और सर्दियों की हाजिर मांग बढ़ने से लहसुन महंगा हो रहा है। आलू-प्याज व्यापारी महासंघ के महासचिव राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि बरसात के कारण इसकी फसल प्रभावित हुई है। खुदरा बाजार में लहसुन 20 रुपये प्रति सौ ग्राम तक बिक रहा है। कारोबारियों की मानें तो सरकार द्वारा लहसुन का निर्यात करने और पिछली फसल कमजोर रहने के कारण भी लहसुन के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई है। अगले साल 20 जनवरी तक नई फसल आने के बाद ही इसकी कीमतों में कुछ कमी की संभावना है। फिलहाल इसके दाम नहीं घटेंगे। अभी तक लहसुन के दाम इतनी ऊंचाई पर कभी नहीं पहुंचे थे। इससे पहले वर्ष 1995 में लहसुन 150 रुपये प्रति किलो तक पहुंचा था।

No comments:

Post a Comment