जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली कपास और सूती यार्न की कीमतों में तेजी का असर आम ग्राहकों पर भी पड़ने लगा है। यार्न की कीमतों में पिछले एक साल में हुई वृद्धि से अब सूती परिधानों के दाम भी बढ़ने लगे हैं। यार्न की कीमतों में पिछले एक साल में 85 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। कपास की कीमतों में तेज उछाल के बाद बीते एक साल में सूती यार्न में भी अप्रत्याशित तेजी आई। एक्रिलिक यार्न की कीमतों में सौ रुपये प्रति किलो की तेजी आई है। जबकि मिश्रित यार्न की कीमतें 400 से 450 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई। यार्न की कीमतों में आई तेजी की वजह से सूती परिधान ही नहीं होजरी और निटवेयर की कीमतें भी बढ़ी हैं। सरकारी आंकड़ों को सही मानें तो पिछले एक महीने में ही सूती टेक्सटाइल की कीमतों में 14 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है। मगर बाजार की हकीकत इससे भी अलग है। सूती परिधान निर्माताओं का कहना है कि यार्न की कीमतों के दबाव में उनके सामने अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने के सिवा कोई चारा नहीं है। यार्न की कीमतों में वृद्धि की मूल वजह देश में कपास की कीमतों में पिछले एक साल में काफी तेज वृद्धि होना रहा है। अक्टूबर 2009 में जहां कपास की कीमत 23,000 रुपये कैंडी थी वहीं इस साल नवंबर में यह 47,000 रुपये प्रति कैंडी पहुंच गई हैं। कीमतों में तेजी की वजह कॉटन की पैदावार में कमी की आशंका रही। कुछ कपास उत्पादन वाले राज्यों में बारिश होने के चलते पैदावार में कमी की आशंका जताई जा रही थी। साल के शुरू में देश में कपास की तीन करोड़ गांठों के उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। हालांकि मुंबई में मंगलवार को टेक्सटाइल कमिश्नर ने एक बयान में कपास की पैदावार में बढ़ोत्तरी की उम्मीद जतायी है। माना जा रहा है कि इस साल कपास की पैदावार साढे़ तीन करोड़ गांठों तक पहुंच सकती है।
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