तीन महीने में 21 फीसदी बढ़े चीनी के दाम, आगे और बढ़ने के आसार
बहुत तेजी से भड़के प्याज के दामों ने तो आम आदमी के आंसू निकाल लिए, लेकिन चीनी की महंगाई मीठे जहर की तरह धीरे-धीरे असर कर रही है। तीन महीनों में चीनी के खुदरा दाम 28-29 रुपये से बढ़कर 34-35 रुपये प्रति किलो हो गए हैं यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच 21 फीसदी का उछाल। अब जब सरकार ने डेढ़ साल बाद चीनी में वायदा कारोबार की अनुमति दे दी है तो माना जा रहा है कि इसके भाव और भी भड़क सकते हैं। व्यापारी चीनी में आई इस तेजी की वजह थोक कीमतों में वृद्धि को बताते हैं। थोक बाजार में पहली अक्टूबर से 29 दिसंबर तक चीनी के दामों में करीब 315 रुपये प्रति क्विंटल तक वृद्धि हो चुकी है। खुदरा कीमतों पर भी इसका असर पड़ा है। चूंकि चीनी की कीमतों में यह तेजी धीरे-धीरे आई, लिहाजा इसे लेकर कोई हो-हल्ला नहीं हुआ, लेकिन हाल के दिनों में सरकार के कुछ फैसलों से इसकी कीमतों में तेज वृद्धि की राह खुल गई है। पहले चीनी के निर्यात पर रोक हटाने और फिर 19 महीने बाद इसमें वायदा कारोबार शुरू करने के फैसले इसमें अहम हैं। केंद्रीय कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने 15 दिसंबर को चीनी निर्यात पर लगे प्रतिबंध हटाने की घोषणा की थी। जबकि बीते सोमवार को इसमें वायदा कारोबार करने की अनुमति दे दी गई। वायदा कारोबार के तहत खरीदार और विक्रेता किसी उत्पाद को खरीदने के लिए अनुबंध करते हैं। भविष्य की कोई तारीख तय कर निश्चित दाम पर सौदे का तोड़ कर लिया जाता है। लिहाजा इसमें सट्टेबाजी की पूरी संभावना बनी रहती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी की किल्लत है, वायदा की अनुमति से इसके दामों में अस्थिरता आ सकती है। मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के मूल्य 30 साल के ऊंचे स्तर पर बने हुए हैं। भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ इसका सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। चालू चीनी वर्ष (अक्तूबर-सितंबर) में 245 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले साल के 190 लाख टन के मुकाबले अधिक है। जबकि चीनी की घरेलू खपत 230 लाख टन आंकी गई है। अंतरराष्ट्रीय मांग को बढ़ता देख चीनी मिलें अतिरिक्त चीनी का निर्यात करने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। वायदा बाजारों पर इसका असर पड़ना तय है। हाजिर बाजारों तक यह असर कितना पहुंचेगा, यह तो बाद में ही पता चलेगा।
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