Friday, December 31, 2010

सस्ते प्याज की उम्मीद छोडि़ए!

 प्याज में लगी आग को ठंडा करने के लिए की गई सरकार की कोशिशों से फिलहाल भले ही इसकी कीमतों में थोड़ी नरमी आ गई है, लेकिन ज्यादा समय तक इसके दामों को दबाए रखना सरकार के लिए चुनौती भरा होगा। बेमौसम बरसात से पहले ही देश के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में प्याज की 70 प्रतिशत फसल खराब हो गई है। इसकी पुष्टि खुद देश की शीर्ष कृषि संस्था आइसीएआर ने कर दी है। वहीं, मुनाफा काटने के लिए अधिकतर किसानों ने समय से पहले ही प्याज खोदकर बाजार में बेच लिया है। पाकिस्तानी प्याज भी भारत की मांग पूरा नहीं कर सकेगा, ऐसे में लाख टके का सवाल है कि यह आएगा कहां से? इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आइसीएआर) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि बेमौसम बारिश से प्याज की खरीफ फसल बर्बाद हो चुकी है। किसानों ने भी इसके बचाव के समुचित उपाय नहीं किए। इससे पर्पल एंथ्राक्नोस और पर्पल ब्लॉच नाम के दो रोग पैदा हो गए और इनसे फसल चौपट हो गई। भारत में सालाना करीब 40 लाख टन प्याज पैदा होता है। प्याज की पैदावार के मामले में हमारा देश सिर्फ चीन से ही पीछे है। मगर फिलहाल संकट की स्थिति बनी हुई है। प्याज खुदरा बाजार में अभी भी 40 से 50 रुपये किलो बिक रहा है। इसके दाम एक हफ्ते पहले 70-80 रुपये किलो चले गए थे। इन दामों पर मुनाफा काटने के चक्कर में अधिकतर किसानों ने समय पूर्व ही प्याज खोद लिया है। वैसे यह प्याज 15 जनवरी के बाद आने वाला था। आने वाली फसल के भरोसे प्याज की कीमतों को थामने के सपने संजोए सरकार की योजनाओं को चकनाचूर कर सकता है। ऐसे में पाकिस्तान से प्याज आयात की आशा लगाई गई है, लेकिन दिक्कत यह है कि वहां प्याज का इतना उत्पादन होता ही नहीं है कि भारत की जरूरतें पूरी कर सके। यही वजह है कि भारत में प्याज का निर्यात करने के बाद वहां इसकी कीमतें आसमान छूने लगी हैं। लिहाजा वहां से प्याज का आयात फायदे का सौदा साबित नहीं होगा। प्याज की कीमतों पर कैसे अंकुश लगेगा, जब राजधानी में सरकारी बूथों पर बिकने वाले प्याज की कीमत ही 40 रुपये से बढ़ाकर 45 रुपये प्रति किलो कर दी गई है। खास बात यह है कि इस दौरान मंडियों में प्याज के दाम लगभग स्थिर बने हुए हैं।

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