Sunday, December 26, 2010

डीजल-एलपीजी मूल्य वृद्धि से बचना मुश्किल

हल्दिया (बंगाल) सरकार मान रही है कि अब बहुत ज्यादा दिन तक डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि से बचा नहीं जा सकता। यह बढ़ोतरी कितनी होगी और कब होगी, इस पर पेट्रोलियम व वित्त मंत्रालय मिलकर विचार करेंगे। संभावना है कि सरकार अपने खाते की सब्सिडी बढ़ाकर आम उपभोक्ताओं पर मूल्य वृद्धि का कम से कम बोझ डालने की कोशिश करेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार ऊपर की तरफ जाने से तेल कंपनियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। तेल कंपनियां डीजल पर 5.41 रुपये प्रति लीटर, केरोसीन पर 17 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस पर 272 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान उठा रही हैं। इसके विपरीत देश में महंगाई की जो स्थिति है, उसमें सरकार के सामने फिलहाल दाम बढ़ाना भी चुनौती बनी हुई है। चूंकि थोक मूल्य सूचकांक में पेट्रोलियम उत्पादों का हिस्सा 14 प्रतिशत का है, लिहाजा रसोई गैस और डीजल के दाम बढ़ते ही महंगाई दर तेजी से ऊपर चढ़ेगी। हल्दिया रिफाइनरी के क्षमता विस्तार परियोजना के पूरा होने के मौके पर आयोजित एक समारोह में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने माना कि कच्चे तेल के महंगा होने से स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण हो गई है। तेल कंपनियों की स्थिति को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय भी मान रहा है कि बिना दाम बढ़ाए कंपनियों को घाटे से उबारना संभव नहीं होगा। सूत्र बताते हैं कि दोनों मंत्रालय इसका रास्ता तलाशने में जुटे हैं। इस महीने की 30 तारीख को मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) की होने वाली बैठक से पहले इसका रास्ता निकल आने की संभावना है। हालांकि वित्त मंत्री से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कह दिया अभी सरकार ने रसोई गैस और डीजल के दाम बढ़ाने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है। जो भी फैसला होगा सोच समझकर किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक ईजीओएम की बैठक में जिन 2-3 विकल्पों पर विचार होने की संभावना है, उनमें सबसे ज्यादा माकूल डीजल और रसोई गैस के दामों में थोड़ी वृद्धि करके बाकी का बोझ सब्सिडी के जरिए उठाने के प्रस्ताव लग रहा है। वैसे भी वित्त मंत्रालय इस बात के संकेत दे चुका है कि वह तेल कंपनियों के नुकसान का बोझ बांटने के लिए तैयार है।

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