कुछ हफ्ते पहले खाद्य महंगाई और नवंबर में मासिक महंगाई की दर उम्मीद के मुताबिक रहने से सरकार अपनी पीठ थपथपाती नहीं थक रही थी। मंत्री और अधिकारी जहां इसके लिए सरकारी नीतियों की सराहना कर थे वहीं यह भी जताने से नहीं चूक रहे थे कि नए साल में यह पूरी तरह से काबू में आ जाएगी। मगर प्याज और सब्जियों ने सारा खेल बिगाड़ दिया। ऊपर से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें आग में घी डालने का काम करने को तैयार है। महंगाई घटने का सरकार का दावा फिर से खोखला साबित होने जा रहा है। महंगाई डायन नए साल का स्वागत करने को बेताब है। महंगाई को काबू में करने की कोशिश करते-करते भारतीय रिजर्व बैंक अब हांफने लगा है। तभी तो उसका मानना है कि लगातार किए जा रहे मौद्रिक उपायों के बावजूद मंहगाई में उम्मीद के मुताबिक कमी नहीं आ रही है। वहीं योजना आयोग मुद्रास्फीति की मौजूदा दर को लेकर अभी भी असहज है। जबकि डीजल की कीमतें बढ़ाने का फैसला 30 दिसंबर को हो सकता है जिससे माल भाड़ा बढ़ेगा और इसका असर नए साल में खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर पड़ना लाजिमी है। पेट्रोल की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी पहले ही आम लोगों को परेशान कर रही है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने बुधवार को कहा कि खाद्य पदार्थो के दाम हाल के दिनों घटे जरूर हैं मगर उतनी तेजी से नहीं जिसकी आरबीआइ अपेक्षा करता है। ऐसे में महंगाई के एक बार फिर से जोर पकड़ने की आशंका बढ़ गई है। मालूम हो कि नंवबर में मुद्रास्फीति की दर अनुमान के मुताबिक वर्ष के न्यूनतम स्तर 7.48 प्रतिशत पर आ गई लेकिन थोकमूल्य सूचकांक में 15 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली खाद्य मुद्रास्फीति की दर पिछले दो सप्ताह से तेजी पर है। इस हफ्ते भी इसमें तेजी रहने के आसार हैं। गोकर्ण ने कहा कि रिजर्व बैंक के सामने आर्थिक विकास और मंहगाई के बीच संतुलन कायम रखने की बड़ी चुनौती है जिस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर वस्तुओं के दामों में तेजी भी मुद्रास्फीति को बढ़ाने का काम कर रही है। महंगे प्याज की आंच से महंगाई में कमी को लेकर अक्सर दावा करने वाले योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया भी अब मुद्रास्फीति के असहज होने की बात करने लगे हैं। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्याज की आसमान छूती कीमतें जल्दी ही कम हो जाएगी। एक सम्मेलन में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने माना कि महंगाई में नरमी तो आई है मगर चिंता अभी भी बरकरार है। उन्होंने एक बार फिर उम्मीद जताई कि मार्च 2011 तक इसमें कमी आ जाएगी।
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