विदेशी संस्थानों ने 11 माह में 38.5 अरब डॉलर का निवेश किया
विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से लगातार बढ़ते पूंजी निवेश को लेकर सरकार निश्चिंत है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि बढ़ते विदेशी पूंजी प्रवाह को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। वह इस मामले में फिलहाल ‘खतरे की घंटी’ नहीं बजाएंगे।
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर की 105वीं वार्षिक आम बैठक का उद्घाटन करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि वर्तमान स्तर पर विदेशी पूंजी का जो प्रवाह है, देश की अर्थव्यवस्था में उसे सोखने की क्षमता है। यदि पूंजी प्रवाह एक स्तर से ऊपर निकलता है तो यह चिंता का विषय होगा। फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है। नवंबर तक देश के शेयर बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों का पूंजी प्रवाह 38 अरब डॉलर से ऊपर निकल गया था। हालांकि, वित्त मंत्री ने कहा कि अधिक मात्रा में विदेशी पूंजी के आने से अर्थव्यवस्था के लिए इसे खपाने में परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि वह विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूंजी प्रवाह को लेकर परेशानी नहीं हैं। विशेषकर ऐसी स्थिति में जबकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाह में कुछ नरमी का रुख बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि पूंजी बाजार में तो विदेशी पूंजी का तेज प्रवाह बना हुआ है। जहां तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का मामला है, इसमें इस साल कुछ सुस्ती का रुख है। विदेशी संस्थानों ने अकेले नवंबर में ही पूंजी बाजार में 4.78 अरब डॉलर की राशि झोंक दी है, जिसे मिलाकर कैलेंडर वर्ष के 11 महीनों में उनका कुल निवेश 38.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
वित्त मंत्री ने विश्वास जताया कि सरकार की राजकोषीय नीति और भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक कार्रवाई में परस्पर समानता है। यह अर्थव्यवस्था के सुधार में सहायक होगी। मुखर्जी ने कहा कि उच्च आर्थिक वृद्धि का लाभ समाज के निचले तबके तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि विशिष्ट पहचान संख्या के अमल में आने के बाद विभिन्न योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। सरकार ने राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के तहत 2020 तक करीब 50 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित और कुशल बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं।
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