Wednesday, December 22, 2010

सार्वजनिक निर्गमों से जुटाए दो लाख करोड़

इस साल भारतीय कंपनियों ने सार्वजनिक निर्गमों के जरिए करीब दो लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड पूंजी जुटाई। आर्थिक मंदी के कारण कई कंपनियों ने अपनी पूंजी जुटाने की योजना टाल दी थी, मगर मंदी से उबरने और मांग में तेजी को देखते हुए कंपनियों ने पूंजी बाजार में उतरना शुरू कर दिया। कंपनियों ने सार्वजनिक निर्गम, पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआइपी), विदेशी वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) और विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी) के माध्यम से पूंजी जुटाई है। असल में बाजार नियामक सेबी ने कंपनियों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी अधिकतम 75 फीसदी तक रहने का फरमान जारी किया है। हालांकि इसके लिए कंपनियों को तीन साल का वक्त दिया गया है, लेकिन कंपनियों ने इस पर अभी से अमल शुरू कर दिया है। सेबी के इस निर्देश का पालन करने के लिए केंद्र सरकार ने भी 60 सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश की घोषणा कर दी। नतीजतन, कई सरकारी कंपनियों ने आइपीओ और एफपीओ लाने की घोषणाएं कीं। प्राथमिक बाजार के लिए यह साल काफी महत्वपूर्ण रहा। इस दौरान कई रिकॉर्ड बने। वर्ष 2010 में अब तक कुल 70 सार्वजनिक निर्गम आ चुके हैं। इनमें 62 आइपीओ और छह एफपीओ हैं। इन आइपीओ के जरिए कंपनियों ने 39,710 करोड़ रुपये जुटाए, जबकि एफपीओ से 31,403 करोड़ रुपये जुटाए गए। आइपीओ लाने वाली कंपनियों में बुनियादी क्षेत्र के साथ ही बैंकिंग, हेल्थकेयर, रियल्टी, माइक्रोफाइनेंस व फिटनेस सेंटर आदि शामिल हैं। इस साल कोल इंडिया अब तक का सबसे बड़ा आइपीओ लाया। इसके माध्यम से कंपनी ने 15,475 करोड़ रुपये जुटाए। साल का सबसे छोटा आइपीओ जेवरात बनाने वाली कंपनी थांगमयील ज्वैलरी द्वारा लाया गया। इसके जरिए मात्र 29 करोड़ रुपये जमा किए गए। वर्ष 2010 में निजी क्षेत्र की कंपनियों ने सार्वजनिक निर्गम से 21,168 करोड़ रुपये जुटाए, जबकि सरकारी कंपनियों द्वारा 49,946 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई। देश की 53 कंपनियों ने क्यूआइपी के जरिए इस साल 28,339 करोड़ रुपये जुटाए। इनमें अदानी एंटरप्राइजेज (4000 करोड़ रुपये), टाटा मोटर्स (3350 करोड़ रुपये) और आइडीएफसी (2645 करोड़ रुपये) आदि शामिल हैं। देश की 547 कंपनियों ने ईसीबी के माध्यम से 17.93 अरब डॉलर और 12 कंपनियों ने एफसीसीबी से 1.35 अरब डॉलर जुटाए। कुल मिलाकर इन दोनों माध्यमों से कंपनियों ने करीब 90 हजार करोड़ रुपये जमा किए हैं। जिंस एक्सचेंजों में हुआ रिकॉर्ड कारोबार नई दिल्ली, एजेंसी : जिंस बाजार के लिए यह साल बेहद खास रहा। इस दौरान देश के जिंस बाजारों का कुल कारोबार एक लाख अरब रुपये के आंकड़े को पार कर गया। पिछले साल यह 70 हजार अरब रुपये का था। सरकार ने वायदा बाजार में उपभोक्ता जिंसों का कारोबार अप्रैल 2003 में दोबारा शुरू करा दिया था। सरकार लोकसभा में जिंस वायदा कारोबार के विस्तार के लिए एक विधेयक भी पेश करने जा रही है। जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के अध्यक्ष बीसी खटुआ ने उम्मीद जताई कि इस साल के अंत तक जिंस बाजार का सम्मिलित कारोबार 1,05,000 अरब रुपये तक पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008-09 की वैश्विक मंदी के बाद पांच राष्ट्रीय जिंस एक्सचेंजों समेत देश के सभी 23 जिंस एक्सचेंजों का कारोबार बढ़ रहा है। हालांकि धातु बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। एसीई ने इस साल अक्टूबर में राष्ट्रीय एक्सचेंज का दर्जा हासिल किया। इससे पहले यह क्षेत्रीय एक्सचेंज की तरह काम कर रहा था। इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (आइसीईएक्स) वर्ष 2009 के अंत में परिचालन में आया। जिंस वायदा बाजार में इस साल के शुरू से ही सकारात्मक रुख रहा। साल के दौरान सोने की कीमतें 17 हजार रुपये प्रति दस ग्राम से बढ़कर 20 हजार तक पहुंच गई। नवंबर आते-आते पांच राष्ट्रीय एक्सचेंजों समेत 18 क्षेत्रीय जिंस एक्सचेंजों का सम्मिलित कारोबार 94,947.21 अरब रुपये पर पहुंच गया। जनवरी से नवंबर तक देश के सबसे बड़े जिंस एक्सचेंज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) का कारोबार 48 फीसदी बढ़कर 78,959.21 अरब रुपये पर पहुंच गया। इस दौरान एनसीडीईएक्स) का कारोबार 39 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ 9,732.06 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसी तरह आइसीईएक्स में 3,780.06 अरब रुपये का कारोबार हुआ। यह सबसे पुराने एक्सचेंज एनएमसीई के इसी अवधि के कारोबार से अधिक है। समीक्षाधीन अवधि में एनएमसीई का कारोबार छह फीसदी बढ़कर 1,807.27 अरब रुपये का हो गया । पिछले साल की इसी अवधि में यह 1,704.19 अरब रुपये था।

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