Sunday, December 26, 2010

अगले साल औंधे मुंह गिर सकता है सोना!

निवेश के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले सोने के लिए आल इज नॉट वेल। यह हो सकता है कि वर्ष 2011 के दौरान सोने की चमक और बढ़े, लेकिन इस आश्ंाका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि इसकी कीमत धड़-धड़ाकर नीचे का रुख अख्तियार कर लें। विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुधार और डॉलर की कीमत में इजाफा वर्ष 2011 के दौरान सोने की कीमतों को गिराने का कारण बन सकती हैं। बीएनपी परिबास ड्यूश बैंक की शोध रिपोर्टो को छोड़कर किसी को भरोसा नहीं है कि वर्ष 2011 में सोने की कीमत 1,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचेगी। ज्यादातर जानकार सोने की कीमतों में गिरावट को लेकर सावधान रहने की सलाह देते हुए ही नजर आ रहे हैं। वर्ष 2010 के दौरान निवेशकों को सोने में पूंजी लगाने पर 30 फीसदी तक का रिटर्न मिला। निवेशकों ने कमोडिटी एक्सचेंज में सुरक्षित तरीके से सोने के वायदा कारोबार में पूंजी लगाई। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने ने कीमतों में अब के उच्चस्तर को छुआ और 1,432.50 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। इसके अलावा अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्रीय बैंक की चिंता भी सोने की कीमत बढ़ाने का कारण बनी। खदान कंपनियों की डी-हेजिंग ने भी पीली धातु के भाव को उछालने में मदद की। डी-हेजिंग के तहत कंपनियां जोखिम की दर बढ़ा देती हैं। दरअसल, कीमतों में गिरावट की उनकी आशंका करीब-करीब खत्म हो जाती है। नहीं रहेगा सुरक्षित निवेश : बुलियन डीलर किटको डॉट कॉम के मुताबिक, वर्ष 2011 के दौरान किसी भी हालत में सोना 30 फीसदी का रिटर्न नहीं दे पाएगा। किटको का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद के बीच धीरे-धीरे सोना सुरक्षित निवेश माध्यम का रुतबा खो देगा। कंपनी के निदेशक रंजीत राठौर का मानना है कि सोने की कीमतों में करीब 15 फीसदी की गिरावट आएगी और यह 1,200 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच जाएगा। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि अगर सोना तमाम अनुमानों को दरकिनार करता हुआ ऊपर की ओर बढ़ता है, तो भी यह वर्तमान स्तर से 5-7 फीसदी ऊपर ही जाएगा। वर्तमान में सोने की कीमत 1,380 डॉलर प्रति औंस चल रही है। घरेलू बाजार में पीली धातु की कीमत 20,500 रुपये प्रति दस ग्राम पर है। भारतीय निवेशकों को फायदा : विश्लेषकों का मानना है कि सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय निवेशकों को मिलेगा। उनका मानना है कि वर्ष 2011 के दौरान भी डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत बना रहेगा। लंदन की मेटल कंसल्टेंसी फर्म जीएफएमएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पॉल वॉकर का मानना है कि अगले साल सोने की कीमतें 1,400 डॉलर प्रति औंस को भी नहीं छू पाएंगी। उन्होंने कहा कि ग्लोबल माइक्रो इकोनॉमिक माहौल सुधर सकता है, ब्याज दरें बढ़ सकती हैं और शेयर बाजार शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं। अगर ये सभी अनुमान के मुताबिक हुए, तो निश्चित तौर पर सोने की कीमतें घटेंगी। उन्होंने कहा कि अगले तीन साल में सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतें चार अंक से तीन अंक में भी पहुंच सकती हैं। दुनिया के सबसे बड़े सोने के उत्पादक और उपभोक्ता चीन में भी सोने की कीमतें नीचे आने का अनुमान है। चीन में बैंकों के रिजर्व रेसियो में आठ हफ्ते में तीन बार बढ़ोतरी के बाद नकदी को कम करने और महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्था ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी का रास्ता अपना सकती है। चीन का यह कदम सोने की कीमतों को कम करने का कारण बन सकती है। रिद्धि सिद्धि बुलियन लिमिटेड के निदेशक पृथ्वीराज कोठारी का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो वर्ष 2011 के दौरान भारत में सोने की घरेलू कीमतें 18,500-19,000 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच सकती हैं।

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