Friday, December 2, 2011

एफडीआई के फैसले पर मनमोहन अडिग


खुदरा व्यापार में एफडीआई को लेकर सरकार अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में गतिरोध गहराने के बीच अपने सहयोगी दलों से स्पष्ट कह दिया है कि इस फैसले को वापस लेना मुश्किल है और यदि इस मुद्दे पर कोई मत विभाजन हो तो सहयोगियों को सरकार के पक्ष में मतदान करना चाहिए। सहयोगी दल भी अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, लेकिन रुख में नरमी जरूर आई है। वहीं इस मुद्दे पर पांचवें दिन विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में बृस्पतिवार को भी कोई कामकाज नहीं हुआ। शीतकालीन सत्र का बृहस्पतिवार को आठवां दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। इसी बीच कांग्रेस ने विपक्ष को चेतावनी दे डाली है कि अगर वह सरकार के फैसले से सहमत नहीं है तो वह संसद में अविास प्रस्ताव ला सकता है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर सहयोगी दलों को एक मंच पर लाने के प्रयास तेज कर दिए लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार के इस विवादास्पद फैसले को वापस लेने पर अड़ी है। जबकि द्रमुक इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने के पक्ष में है। सूत्रों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंधोपाध्याय ने इस बैठक में साफ किया कि इस फैसले पर पार्टी के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है तथा इस मसले पर लोकसभा में मत विभाजन की नौबत आने पर पार्टी इस बारे में कोई फैसला करेगी। तृणमूल, द्रमुक, राकांपा, नेशनल कांफ्रेंस और आईयूएमएल के नेताओं ने बैठक में शिरकत की। प्रधानमंत्री और यूपीए के संकटमोचक माने जाने वाले प्रणव मुखर्जी ने संभवत: सहयोगी दलों से कहा है कि आर्थिक हालात काफी मुश्किल हैं और जीडीपी विकास दर को लेकर कई चिन्ताएं हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय के मुताबिक मनमोहन सिंह और प्रणव मुखर्जी ने सहयोगी दलों के नेताओं से कहा है कि यह फैसला कैबिनेट ने मुश्किल हालात में लिया था और इससे हटना मुश्किल होगा। फैसले को वापस लेने पर अड़ी तृणमूल के संसदीय दल के नेता बंदोपाध्याय ने हालांकि कहा कि उनकी पार्टी नहीं चाहती है कि सरकार गिरे।
हालांकि कहा कि मुखर्जी, जो लोकसभा के नेता भी हैं, ने उन्हें बताया है कि निन्दा प्रस्ताव अविास प्रस्ताव नहीं है लेकिन यदि ये पारित हो जाए तो सरकार की विसनीयता पर गहरी चोट पहुंचती है। वे इस मुद्दे पर संसद में चर्चा भी चाहते हैं। द्रमुक हालांकि अपने रुख में कुछ नरमी लाता दिख रहा है। पार्टी नेता टीआर बालू ने संभवत: प्रधानमंत्री से कहा है कि यदि मत विभाजन हुआ तो वह पार्टी प्रमुख एम. करुणानिधि से इस बारे में सलाह मशविरा कर पार्टी के रुख से सरकार को अवगत कराएंगे। इस बीच एक फामरूले की भी बात चल रही है, जिसके मुताबिक सहयोगी दल संसद में सरकार का समर्थन करेंगे लेकिन स्पष्ट करेंगे कि वे अपने शासन वाले राज्यों में इस नीति को लागू नहीं करेंगे। ऐसी खबरें भी हैं कि यदि मत विभाजन हुआ तो तृणमूल के सांसद शायद सदन से अनुपस्थित रहें लेकिन द्रमुक और तृणमूल नेताओं ने इस बारे में पूछे गए सवालों को टाल दिया। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत नहीं की। द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में मत विभाजन का अभी सवाल ही नहीं उठता। एफडीआई के फैसले का कड़ा विरोध कर चुके द्रमुक प्रमुख एम. क रुणानिधि ने कहा था कि यदि कार्यस्थगन प्रस्ताव मंजूर होता है तो पार्टी तय करेगी कि मत विभाजन में किस तरह मतदान करना है। हालांकि संसद परिसर में पार्टी सांसद टी. शिवा ने संवाददाताओं को बताया कि द्रमुक खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर संसद में चर्चा चाहता है। संसद में भी सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध और बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर लगातार पांचवें दिन संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुए आठ दिन हो चुके हैं लेकिन एफडीआई , मुल्लापेरियार बांध, अलग तेलंगाना राज्य जैसे मुद्दों को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में एक भी दिन प्रश्नकाल नहीं चला और न ही कोई अन्य सरकारी कामकाज निपटाया जा सका है। हालांकि सरकार और कांग्रेस ने उम्मीद जताई है कि सत्ताधारी गठबंधन के पास संख्या बल की कमी नहीं है और उसने अविास प्रस्ताव को लेकर विपक्ष को चुनौती भी दी है। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने विपक्ष को चुनौती दी है कि यदि उसे लगता है कि सरकार के पास अपेक्षित बहुमत नहीं है तो वह अविास प्रस्ताव लाकर दिखाए। उधर संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने विास जताया कि सरकार के पास बहुमत है । मुझे यकीन है कि सरकार के पास बहुमत है । मौका आएगा तो आप देखेंगे।उन्होंने हालांकि इस मुद्दे पर किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। दिनेश त्रिवेदी ने कैबिनेट बैठक में नहीं लिया हिस्सा नई दिल्ली (एजेंसी)। खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने के सरकार के फैसले पर तृणमूल कांग्रेस की अप्रसन्नता की पृष्ठभूमि में रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने बृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। बैठक में उनके शिरकत नहीं करने के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी कारण नहीं बताया गया। कैबिनेट में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले त्रिवेदी एकमात्र मंत्री हैं। उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इसका कोई निजी कारण हो सकता है क्योंकि पार्टी ने उन्हें कैबिनेट की बैठक में शिरकत नहीं करने का कोई निर्देश नहीं दिया था।त्रिवेदी ने कैबिनेट की पिछली बैठक में एफडीआई के फैसले का विरोध किया था।

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