Monday, December 5, 2011

सही दिशा में लिया गया कदम


सरकार द्वारा भारतीय खुदरा क्षेत्र मल्टी ब्रांड और सिंगल ब्रांड में जो प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) की नीति लाई गई है। वह एक सही दिशा में उठाया गया कदम है। इससे भारतीय खुदरा क्षेत्र को आगे बढ़ने की अपार संभावना है। इस क्षेत्र को आधुनिक बनाए जाने की जरूरत है। सरकार इस नीति के जरिए वैिक खुदरा क्षेत्र में खुदरा विक्रेता को देश में योजनाबद्ध तरीके से निवेश के लिए अवसर उपलब्ध कराएगा जो कि भारत में निवेश के लिए इंतजार कर रहे हैं। इस नीति के लागू होने से किसानों को काफी फायदा होगा। तत्काल स्टोरेज और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा कम होने के कारण किसानों के उत्पाद का 30 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है। खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आएगा तो मल्टी ब्रांड की एक बहुत बड़ी चेन होगी। इसमें स्टोरेज और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा होगी ही। उत्पाद को लाने-ले जाने की भी बेहतर सुविधा होगी। ऐसे हालात में किसानों के उत्पाद कम बर्बाद होंगे। दूसरी बात है कि इस नीति के लागू होने से किसान को अपने उत्पादन की अधिक कीमत मिलेगी। इसलिए कि वह अपने उत्पाद को बाजार नहीं ले जाकर सीधे खुदरा विक्रेता को बेचेंगे। साथ ही किसान को उसी फसल को उत्पादन करने का मौका मिलेगा, जिसकी बाजार में उपयोगिता होगी।
छोटे-मंझोले उद्योगों को फायदा
इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र को समय पर कच्चा माल उपलब्ध होगा तो इससे इसके उत्पादन की गुणवत्ता और क्षमता दोनों बढ़ेगी। ऐसे हालात में फूड उत्पाद के दाम भी कम हो जाएंगे और उनकी गुणवत्ता भी अच्छी हो जाएगी। एफडीआई से लघु और मझोले उद्योग को भी फायदा होगा। अभी दुनिया में खुदरा क्षेत्र द्वारा लघु और मझोले उद्योग से 40 से 45 फीसद तक सामान खरीदा जाता है। स्वाभाविक है कि ऐसे में भारत के छोटे-मझोले उद्योग को फायदा होगा। एफडीआई में तय किया गया है कि 30 फीसद सामान भारत के लघु और मझोले उद्योग से ही खरीदना है। इस नीति में लघु और मझोले उद्योग क्या है? इसकी भी परिभाषा दी गई है। साथ ही 30 फीसद समान खरीदने की कानूनी तौर पर बाध्यता भी है। इन बातों से साफ तौर पर जाहिर होता है कि इस नीति के लागू होने जाने से भारत के लघु और मझोले उद्योग को फायदा होगा। फिक्की का एक अनुमान है कि आने वाले 10 सालों में 80 अबर डॉलर की खरीदारी देश के छोटे और मझोले उद्योग से होगी।
900 अरब डालर होगा रिटेल
अगर इस संदर्भ में हम ग्राहकों की बात करें तो इनको कम कीमत पर चीजें मिलनी शुरू हो जाएंगी। दूसरी बात है कि ग्राहकों की पसंद की परिधि बढ़ेगी। कई प्रकार के चीजों की उपलब्धता बढ़ जाएगी और खास बात यह है कि इसकी गुणवत्ता बढ़ जाएगी और यह आसान कीमतों पर उपलब्ध होगी। फिक्की का अनुमान है कि भारत का खुदरा क्षेत्र 480 अरब डॉलर का है और आने वाले 10 सालों में 900 अरब डॉलर का हो जाएगा। ऐसे में इस क्षेत्र में जबरदस्त रूप से रोजगार उपलब्धहोगा। इसका एक चेन बनेगा, इसमें लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही छोटे और मझोले उद्योग में 30 की बिक्री बढ़ेगी तो स्वाभाविक है कि वहां भी मैन पावर की जरूरत बढ़ेगी। एक अनुमान के मुताबिक इस क्षेत्र में आने वाले 10 साल के भीतर 18 लाख रोजगार पैदा होगा। इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी आने से सारी छोटी दुकानें बंद हो जाएंगी; यह अंदेशा तो सही होने से रहा। बात है कि यह नीति देश के केलव 53 शहरों में ही लागू होगी जहां की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। इन शहरों के अलावा भी सैकड़ों शहर हैं और लाखों गांव हैं। अत: एफडीआई से 40 लाख लोगों के रोजगार छीन जाने की दलील तर्कपूर्ण और व्यावहारिक सोच को नहीं दर्शाती है।
(श्री बार्डे और श्री खंडेलवाल से कुमार विजय ने बातचीत की)

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