Monday, December 5, 2011

रिटेल में एफडीआई



शर्तनामा
कम से कम 10 करोड़ डॉलर यानी तकरीबन 500 करोड़ रुपए का न्यूनतम निवेश निवेश की आधी राशि आपूर्ति से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं पर करना होगा खर्च कम से कम 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों में खोले जा सकेंगे ऐसे रिटेल स्टोर इन रिटेल कंपनियों को न्यूनतम 30 फीसद माल की खरीद छोटी कंपनियों से करनी पड़ेगी
भारत में रिटेल सेक्टर मौजूदा आकार 28 अरब डॉलर भविष्य में इसका आकार 450-500 अरब डॉलर हो जाने की उम्मीद
समर्थक पार्टियां कांग्रेस, एनसीपी (कुछ आपत्तियों के साथ)
विरोधी पार्टियां तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, सपा, बसपा (सरकार को अंदर और बाहर से समर्थन दे रहे दल) भाजपा, जदयू, शिवसेना, बीजद, वामदल, अन्नाद्रमुक, अकाली
कांग्रेस का धर्मसंकट इस मुद्दे पर जहां यूपीए की एकजुटता टूट रही है, वहीं कांग्रेस के अपने घर में भी विरोध के स्वर एक के बाद एक फूट रहे हैं कैबिनेट के इस सर्वसम्मत फैसले पर कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने भी कथित तौर पर एतराज जताया था केरल और उत्तर प्रदेश में प्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं ने इस मुद्दे पर राज्य में पार्टी को होने वाले गंभीर नुकसान के प्रति चेताया है
बदली-बदली भाजपा एनडीए शासनकाल के दौरान तत्कालीन उद्योग और वाणिज्य मंत्री व द्रमुक नेता मुरासोली मारन ने रिटेल सेक्टर में 100 फीसद एफडीआई का प्रस्ताव किया था। दिलचस्प है कि आज द्रमुक यूपीए के साथ है पर एफडीआई के फैसले के विरोध में है बाद में भाजपा ने 2004 के अपने चुनाव घोषणापत्र में रिटेल में 26 फीसद तक एफडीआई की बात कही थी पर 2009 के घोषणापत्र में वह अपने पहले के स्टैंड से पीछे हट गई। इस मुद्दे पर पार्टी की सफाई यह है कि इस दौरान जिन देशों ने भी इसे लागू किया, उनकी हालत अच्छी नहीं रही
53 में इजाजत पर 28 में रोड़े 11 प्रमुख राज्यों में सत्तारूढ़ दलों ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर गंभीर विरोध दर्ज कराया है। 2011 की जनगणना के मुताबिक इन 11 प्रदेशों में 53 में से 28 ऐसे शहर आते हैं, जहां वॉल मार्ट और काफरू जैसी विदेशी रिटेल कंपनियों को प्रवेश की इजाजत केंद्र की तरफ से प्रस्तावित है। इन शहरों में पटना, भोपाल, इलाहाबाद, अहमदाबाद, कोलकाता आदि शामिल हैं

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