Monday, December 5, 2011

खुदरा अब और तब


किसान : आज किसानों को अपने पैदावार को मध्यवर्त्ती संस्थाओं के हाथों अंतिम खुदरा दाम के आधे पर बेचने के लिए 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। अक्सर तौल और गुणवत्ता में धोखाधड़ी की जाती है। -एफडीआई के बाद किसान दो-तीन किलोमीटर के दायरे में ही बने कृषि बाजार में अ प्ा न्ाे उत्पाद को ऊं ची कीमत पर बेच सकेंगे। इलेक्ट्रानिक तराजू, खास गुणवत्ता और संवर्धित पैदावार होंगी। आयातक : मौजूदा समय में व्यवसायी सभी तरह के उत्पादों का विदेशों से आयात करते हैं। अमेरिका से सेब, बांग्लादेश से गारमेंट, श्रीलंका से रत्नों का आयात कर उन्हें खुदरा व्यापारियों के हाथों बेच देते हैं। -एफडीआई लागू हुआ तो इन आयातक वस्तुओं के दाम तेजी से गिर जाएंगे क्यों कि तब खुदरा व्यापारी सीधे-सीधे पूरे वि से मनचाही वस्तुओं का आयात कर सकेंगे। किराना स्टोर : आज स्थिति यह है कि किराना स्टोर के ग्राहक उनके पड़ोसी ही हैं। वे बिना को ई अतिरिक्त चार्ज किए हुए वस्तुओं को उनके घर तक पहुंचा देते हैं। अपने ग्राहकों को यह सुविधा देने के एवज में व्यवसाय की दृष्टि से फायदे में रहते हैं। -यह सूरत एफडीआई के आने से बदलेगी। बड़े खुदरा घराने ग्राहकों को उनके घर तक सामान पहुंचाने की सुविधा नहीं देंगे। अलबत्ता, उन्हें मल्टी ब्रांड के चयन और उनकी खरीद में काफी छूट का लाभ दे पाएंगे। छोटे उद्योग : छोटे या मझोले उद्यमों के बड़े खुदरा व्यापारियों तक पहुंच नहीं हो सकेगी। बिचौलियों से छोटे स्तर पर उत्पादों की बिक्री उनके अंतिम मूल्य को घटा देगा। -छोटे-मंझोले उद्योगों से 30 प्रतिशत की अनिवार्य खरीद की सरकार की शर्त से कुटीर उद्योग, कारीगरों और शिल्पकारों को बेहतर आमदनी हो सकेगी। संरचनागत पिछड़ापन : वर्तमान में शीत भंडारण की सुविधा के अभाव में किसानों के कच्चे उत्पाद जैसे फल और सब्जियां बहुतायत में सड़-गल जाती हैं। इससे उनका नुकसान होता है। -विदेशी खुदरा व्यापारी जब भारतीय बाजार में आएंगे तो वह शीत भंडारण का निर्माण कर खस्ताहाल में पड़े आधारभूत ढांचे को दुरुस्त करेंगे और इससे फल-सब्जियों का नुकसान नहीं हो पाएगा। कम्पनियां : ये फिलहाल अपने उत्पादों को बेचने के लिए अपने विपणन ढांचे और नेटवर्क पर निर्भर हैं। -खुदरा क्षेत्र में आने वाले बड़े विदेशी घराने बड़े स्तर पर थोक में मुनाफा दिलाएंगे किंतु इससे लाभान्वित होने के लिए कम्पनियों को लाभ में कम अंतर रखना पड़ सकता है। बिचौलिये : अभी सब्जियां पांच बिचौलिये के हाथों से गुजर कर ही उपभोक्ताओं तक पहुंचती पाती हैं : उत्पादक, बाजार व्यवसायी, थोक विक्रेता, उप थोकविक्रेता और फिर खुदरा विक्रेता। इसमें हरेक स्तर पर दाम बढ़ते चले जाते हैं। -एफडीआई के बाद बड़े खुदरा व्यापारी सीधे किसानों से पहले की तुलना में ज्यादा भाव पर उनके उत्पाद खरीद सकते हैं। इनके बीच में पांच की जगह एक ही बिचौलिये की जरूरत पड़ेगी, जो किसान ही होगा। अग्रिम सिरा : फिलहाल पूरे भारत में मॉल बन रहे हैं लेकिन दुनिया भर में खुदरा केंद्रों की तादाद को देखते हुए उन्हें कम ही कहा जा सकता है। -आने वाले दिनों में विदेशी कम्पनियां जगह- जगह मॉल बनाने, बड़े स्टोर्स खोलने और इस तरह नौकरियां देने में खूब निवेश करेंगी। इसके अलावा वह रीअल सेक्टर में भी निवेश करेंगी। उपभोक्ताओं : वर्तमान में उपभोक्ता अपने शहर और नगर के आसपास बने मॉल्स या पड़ोस के किराना स्टोर्स में जा कर खरीदारी करते हैं। -विदेशी निवेश के बाद उनकी पसंद व्यापक हो जाएगी। बड़े-बड़े खुदरा घराने से अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों की वस्तुएं जै से स्टेशनरी, जूते-चप्पलें, कपड़े आदि भारी छूट पर खरीदे जा सकेंगे। 

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