Monday, December 5, 2011

विदेशी पूंजी की दरकार क्यों

बहुराष्ट्रीय कम्पनी को देश के खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवेश आने वाले समय में देश के खुदरा क्षेत्र के लिए काफी घातक सिद्ध होगा। हमारे देश में करीब 5 करोड़ खुदरा व्यापारी हैं और 20 करोड़ से अधिक लोगों का इससे रोजी-रोटी चलती है। यह भी गौर करने की जरूरत है कि देश का खुदरा व्यापार क्षेत्र की 15 फीसद की दर से सालाना बढ़ोतरी हो रही है। देश के जीडीपी में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 10 फीसद है और इसमें पूरी तरह से देश पूंजी लगा हुआ है। यह सालाना 15 फीसद की दर से बढ़ रहा है। यह विकास दर का अच्छा आंकड़ा है। ऐसे में विदेशी पूंजी की जरूरत क्यों है? सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए। इसलिए सरकार द्वारा खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के पक्ष में जो दलील दिया जा रहा है। वह खारिज है, उसका कोई आधार नहीं है क्योंकि सरकार अपने पक्ष में आज तक कोई तथ्यात्मक आंकड़े नहीं दे पाई। अमेरिका में 6-7 दशकों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपना व्यापार कर रही हैं। अमेरिका के खुदरा क्षेत्र का 80 फीसद हिस्सा बहुराष्ट्रीय कम्पनी के कब्जे में है और आज उसी अमेरिका में महंगाई अपनी चरम सीमा पर है। अमेरिका में बेरोजगारी के कारण वहां के लोगों को वाल स्ट्रीट पर आंदोलन पर मजबूर होना पड़ा। अमेरिका के लोगों ने आरोप लगाया है कि बढ़ती बेरोजगारी का जिम्मेवार सीधे तौर पर कारपोरेट सेक्टर है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां जिस देश में व्यापार करती हैं, वहां शुरुआत में प्रतिस्पर्धा समाप्त करने के लिए खरीद से भी कम मूल्य माल बेचती हैं ताकि स्थानीय व्यापारी जो हैं किसी तरह की प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकें। एक बार प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाने के बाद बाजार पर अपना एकाधिकार स्थापित कर मुंहमांगे दामों पर कीमत वसूलती हैं जिसका खमियाजा अमेरिका को उठाना पड़ा है और महंगाई बढ़ी है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आने से देश में असंतुलित प्रतिस्पर्धा होगी क्योंकि उनकी क्रयशक्ति और अन्य संसाधनों की जो ताकत है, वह भारतीय व्यापारियों के मुकाबले बहुत अधिक है। ऐसे में भारत के व्यापारी एक निश्चित समय से अधिक समय तक उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे। यही कारण है कि देश भर में इसका विरोध कर रहे हैं। हमारी सरकार से यह मांग है कि इस मुद्दे पर संसदीय स्थायी समिति ने 8 जून 2009 को संसद में जो सर्वसम्मत रिपोर्ट सौंपी थी। सरकार को उस समिति के सिफारिशों पर तत्काल अमल करना चाहिए। साथ ही देश की खुदरा व्यापार नीति घोषित करनी चाहिए जिसके अंतर्गत व्यापारियों को प्राइमरी सेक्टर लैंडिंग रेटपर बैंकों से कर्ज मिलना चाहिए। सरकार खुदरा व्यापार को उच्च और आधुनिक बनाने हेतु की व्यापारियों को वित्तीय व अन्य सहायता उपलब्ध कराएं।

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