सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद अब तक नहीं किए गए उपाय
2010-11 में कीटों के हमले और गोदाम की छतें टपकने से हुई ये बर्बादी अधिकारियों की लापरवाही से भी खराब हुआ है काफी अनाज सर्वाधिक 2595 टन खाद्यान्न की बर्बादी गुजरात में
खाद्यान्नों की बर्बादी को लेकर उच्चतम न्यायालय की फटकार के बावजूद आलम यह है कि चालू वित्त वर्ष में गोदामों में रखे 6,348 टन अनाज की बर्बादी हुई है। कीटों के हमले और गोदामों की छत चूने के कारण देश के विभिन्न सरकारी गोदामों में रखे गए करीब 6,348 टन खाद्यान्न का नुकसान हुआ है। खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। खाद्य मंत्री प्रो. केवी थामस ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा है भंडारण के दौरान कीटों के हमले, गोदामों के छत चूने, खराब गुणवत्ता वाले स्टाकों की खरीद, स्टाक को लाने ले जाने, बरसात से बचाव की व्यवस्था न होने इत्यादि जैसे कारणों से खाद्यान्न क्षतिग्रस्त हुए। मंत्री ने कहा था कि कुछ मामलों में खाद्यान्नों की क्षतिग्रस्तता का कारण अधिकारियों की लापरवाही है जिसके लिए उनके प्रति कड़ाई की गई। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार भारत में 2010-11 की अवधि में 23 करोड़ 20.7 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन की उम्मीद है। मंत्री ने कहा कि अप्रैल 2010 और जनवरी 2011 की अवधि में सबसे अधिक खाद्यान्न बर्बादी गुजरात में हुई जहां 2,595 टन खाद्यान्न बर्बाद हुआ। गुजरात के बाद खाद्यान्न बर्बादी के मामले में उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार का स्थान आता है जहां बर्बादी की मात्रा क्रमश: 1,338 टन, 922 टन, 520 टन और 200 टन है। जम्मू कश्मीर में खाद्यान्नों का कोई नुकसान नहीं हुआ।
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