Sunday, March 6, 2011

टाइगर की टक्कर में कमजोर पड़ेगा ड्रैगन


 भारत अपनी आर्थिक विकास दर को दहाई अंक में ले जाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। वहीं, दस फीसदी से ज्यादा की रफ्तार से फर्राटा भरने वाला चीन हांफने लगा है। पड़ोसी देश की विकास दर अगले पांच वर्ष में गिरकर नीचे आ जाएगी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अगले वित्त वर्ष 2011-12 में देश की विकास दर को 9 फीसदी से आगे ले जाने का लक्ष्य तय किया है। चालू वित्त वर्ष में इस दर के 8.6 फीसदी रहने का अनुमान है। अब चीन की सरकार भी मानने लगी है कि दहाई अंक में लगातार दौड़ लगाना संभव नहीं है। इससे घरेलू मोर्चे पर तमाम तरह की कठिनाइयां पैदा हो रही हैं। चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने राष्ट्रीय संसद (नेशनल पीपुल्स कांग्रेस) में शनिवार को नई विकास रणनीति की घोषणा की। इसके तहत चीन की सालाना आर्थिक विकास दर अगले पांच वर्ष में 7 प्रतिशत पर आ जाएगी। नई नीति के तहत आम लोगों के जीवन स्तर में सुधार और आर्थिक असमानता को कम करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। पिछले पांच वर्ष के दौरान चीन की विकास दर 11.2 प्रतिशत रही। वेन के मुताबिक, इस साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर करीब आठ प्रतिशत रहेगी। चीन की लंबी दौड़ वर्ष 1990 से 2010 तक चीन की औसत आर्थिक विकास दर 9 फीसदी से ज्यादा रही है। वर्ष 1992 में तो उसकी अर्थव्यवस्था 14 फीसदी की सुपरफास्ट स्पीड से फर्राटा भर चुकी है। ग्लोबल मंदी ने इसकी रफ्तार धीमी की और यह दहाई अंकों से इकाई पर आ गई। इसके बावजूद वर्ष 2009 में इसने जर्मनी को पछाड़ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का रुतबा हासिल कर लिया। वर्ष 2010 में यह जापान को पीछे छोड़कर दुनिया में नंबर दो पर आ गया। विश्व बैंक और सिटी ग्रुप जैसे संस्थानों की मानें तो चीन वर्ष 2020 तक अमेरिका से आगे निकलकर विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसके बाद इस पर लंबी दौड़ की थकान हावी हो जाएगी। दुनिया में नंबर वन होगा देश विश्व बैंक ने बीते साल विश्व अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत की रफ्तार और बढ़ेगी, चीन की विकास दर नीचे आएगी। चीन की बुढ़ाती आबादी के मुकाबले भारत में बढ़ती युवा जनसंख्या भी देश को दौड़ में आगे ले जाएगी। इन ग्लोबल संस्थाओं के मुताबिक, फर्राटा भरती भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2050 तक चीन को भी पीछे छोड़ देगी। यानी चालीस साल बाद दुनिया में नंबर वन होंगे हम|

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