यद्यपि देश में नौकरियों और प्लेसमेंट के अवसर बढ़ रहे हैं लेकिन रोजगार बाजार में उभर रही सचाइयों पर भी ध्यान देना होगा। अब भी देश में कुछ ही प्रतिभाशाली युवाओं की मुट्ठी में चमकीले रोजगार हैं और अधिकांश रोजगार रहित हैं। बढ़ रहे कुल रोजगार अवसरों के आधे से अधिक छह स्थानों दिल्ली- एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद औरकोलकाता से संबंधित हैं। गांवों में राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत बढ़ रहे रोजगार अवसरों के अलावा अन्य किसी तरह के रोजगार अवसर नहीं बढ़े हैं जयंतीलाल भं डारी विश्लेषण
न दिनों भारतीय जॉब मार्केट चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। नई नियुक्तियों के पूर्वानुमान से संबंधित सभी मानव संसाधन रिपोर्ट रोजगार बाजार के गुलजार रहने के संकेत दे रही हैं। कहा जा रहा है कि फिर से देश में 2007 की तरह नौकरियों के वे अच्छे दिन लौट आएंगे जब कंपनियों के लिए अच्छे कर्मचारी और प्रबंधक लगातार ढूंढे जा रहे थे। निश्चित रूप से देश में छलांगें लगाकर बढ़ रही नौकरियों के पीछे तेजी से बढ़ता आर्थिक विकास प्रमुख कारण है। 26 फरवरी को लोकसभा में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2010-11 में आर्थिक विकास दर 8.6 फीसद रही है। कृषि और इ उद्योग की विकास दर अच्छी रही है। ऐसे में देश के प्रमुख औद्योगिक संगठन एसोचैम का कहना है कि वर्ष 2011 में डेढ़ करोड़ नए रोजगार के अवसर निर्मित होंगे। इनमें 75 फीसद रोजगार व्यावसायिक प्रशिक्षण की आवश्यकता से संबंधित होंगे। इंटरनेशनल रिक्रूटमेंट फर्म एटल में प्रकाशित सव्रे में यह बात सामने आई है कि रोजगार के लिहाज से सकारात्मक माहौल होने से भारत में दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में नई नियुक्तियां सबसे अधिक होंगी। इसी तरह मैनपावर इंडिया और नौकरी डॉट कॉम ने 2011 में रोजगार अवसरों से संबंधित अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा साल में देश में नौकरियों की भरमार होगी। रिपोर्ट के मुताबिक सेवा और विनिर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा मौके होंगे। इसके अलावा देश में वित्त, बैंकिंग, बीमा, रियल एस्टेट, खनन, विनिर्माण और थोक व खुदरा क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर नियुक्तियां होंगी। प्लेसमेंट देने वाली अधिकांश कंपनियों ने नए उत्साह के साथ कैम्पस आने की रणनीति बनाई है। खासतौर से वित्तीय सेवा, बैंकिंग, आईटी, परामर्श, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल क्षेत्र की कम्पनियां नई नियुक्यिों के लिए स्कूल- कॉलेजों में कदम बढ़ाते दिख रही हैं। देशिवदेश की कंपनियों ने प्रतिभाओं को लेने के लिए आईआईएम, आईआईटी और मैनजमेंट बिजनेस स्कूल्स में प्लेसमेंट का दौर शुरू कर दिया है। प्लेसमेंट में वेतन के साथ बोनस और हॉलीडे पैकेज दिए जा रहे हैं। वैिक वित्तीय सेवा और कंसल्टिंग कंपनियों के साथ तेजी से बढ़ती भारतीय कंपनियां भी बहुत अच्छे वेतन देती दिख रही हैं। नियुक्तियों की यह आपाधापी केवल बिजनेस स्कूलों और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ही नहीं है बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी कई बड़ी कंपनियां पहुंच रही हैं। इस साल प्लेसमेंट में वेतन पैकेज का औसत पिछले वर्ष से 20 से 30 फीसद अधिक दिखाई दे रहा है। वर्ष 2011 में अच्छी नौकरियों की चाह में भारतीय कर्मचारियों द्वारा अपने नियोक्ता बदलने की संभावना भी दुनियाभर में सबसे अधिक रहेगी। 25 देशों से संबंधित वैिक कार्य निगरानी संबंधी अध्ययन में दर्शाया गया है कि बेहतर संभावना के लिए नौकरी बदलने के परिप्रेक्ष्य में भारत के सबसे अधिक 141 अंक हैं। उसके बाद चीन और मैक्सिको का क्रम है। अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि अब भारत में प्रतिभा पलायन या ब्रेन ड्रेन की जगह ब्रेन गेन की रंगत दिखाई दे रही है। आईटी सेक्टर हो या बीपीओ या मेडिकल, सभी में प्रतिभा पलायन का दौर बेहद धीमा हो गया है। करियर के लिए विदेश गए लोग भी बड़ी संख्या में लौटते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि चाहे अमेरिका ने अपने यहां नौकरी के लिए वीजा महंगा और कठिन पण्राली लागल कर दी है और चाहे अमेरिका के कई प्रांतों में आउटसोर्सिग रोकने के प्रयास हो रहे हैं लेकिन वैिक अध्ययन रिपोर्ट्स बता रही हैं कि अब भारतीय युवाओं द्वारा की जा रही आउटसोर्सिग और बढ़ेगी। आईटी और आउटसोर्सिग के बढ़ते महत्व को रेखांकित करने वाली नैस्कॉम की वैिक रिपोर्ट का कहना है कि विकसित देशों के प्रतिबंध के बावजूद भारत में आउटसोर्सिग पर खतरे नहीं हैं। दुनिया का कोई भी देश अपने उद्योग व्यवसाय को किफायती रूप से चलाने के लिए भारत की आउटसोर्सिग इंडस्ट्री को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। दुनिया में भारत आउटसोर्सिग के लिए सबसे सस्ता, सुरक्षित और गुणवत्ता वाला देश है और आईटी के वि बाजार में भारत की साख बनी हुई है। आउटसोर्सिग के क्षेत्र में भारत की प्रगति के पीछे एक कारण यह भी है कि यहां संचार का मजबूत ढांचा कायम हो चुका है। दूरसंचार उद्योग के निजीकरण से नई कंपनियों के अस्तित्व में आने से दूरसंचार की दरों में भारी गिरावट आई है। उच्च कोटि की त्वरित सेवा, आईटी एक्सपर्ट और अंग्रेजी में पारंगत युवाओं की बड़ी संख्या की बदौलत भारत पूरे वि में आउटसोर्सिग क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है। आईटी के ऐसे प्रतिष्ठित आधार पर इस साल भारत का आईटी कारोबार 50 अरब डॉलर का होगा और इसमें दो लाख नए लोगों को रोजगार मिलेगा। पिछले वर्ष आईटी उद्योग में करीब 80 हजार नई नियुक्तियां हुई थीं। यद्यपि देश में नौकरियों और प्लेसमेंट के अवसर बढ़ रहे हैं लेकिन हमें रोजगार बाजार में उभर रही रोजगार सच्चाइयों पर भी ध्यान देना होगा। अब भी देश में कुछ ही प्रतिभाशाली युवाओं की मुट्ठी में चमकीले रोजगार हैं और अधिकांश बेरोजगार हैं। देश में जो कुल रोजगार अवसर बढ़ रहे हैं, उनके आधे से अधिक छह स्थानों दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता से संबंधित हैं। गांवों में नरेगा के तहत बढ़ रहे रोजगार अवसरों के अलावा अन्य किसी तरह के अवसर नहीं बढ़े हैं। ऐसे में सरकार द्वारा सभी के लिए रोजगार के रणनीतिक प्रयास जरूरी हैं। कम योग्य युवाओं के लिए प्रशिक्षण एवं सेवा क्षेत्र में अवसर खोजने होंगे और उन्हें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों से शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा। ध्यान रहे कि अपने यहां केवल पांच फीसद युवा व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित हैं जबकि दक्षिण कोरिया में 95, जापान में 80, जर्मनी में 70 तथा चीन में 60 फीसद युवा कुशल हैं। गांवों में गरीब, अशिक्षित और अर्धशिक्षित लोगों को कुशल प्रशिक्षण से लैस कर निम्न तकनीकी विनिर्माण में लगाना होगा। 2011-12 के बजट में हायर सेकेंडरी स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने की जो योजना घोषित है, उसकी सफलता देश के सामान्य योग्यता के युवाओं में कौशल प्रशिक्षण बढ़ाएगी। ऐसा होने पर जनसांख्यिकीय बढ़त हासिल करने के साथ दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाला भारत कौशल प्रशिक्षण की कमी दूर कर आर्थिक विकास को बहुत ऊंचाई दे सकता है। निश्चित रूप से सदी के दूसरे दशक में जहां देश के करोड़ों विद्यार्थियों को मानव संसाधन में बदलने के लिए शिक्षा संस्थाओं की भूमिका आवश्यक होगी, वहीं नई पीढ़ी को नई आर्थिक दर के लिहाज से अधिक उत्पादकता तथा प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आगे बढ़ना होगा। रोजगार बाजार में मानव संसाधन के रूप में चमकने के लिए अच्छी अंग्रेजी, बेहतर उच्चारण, संवाद दक्षता, व्यापक कम्प्यूटर ज्ञान, उच्च गुणवत्ता जैसी विशेषताओं से पूर्ण होकर आगे बढ़ना होगा। रोजगार और नौकरियों के बढ़े अवसर जहां नई पीढ़ी की मुस्कराहट बढ़ाएंगे, वहीं देश के आर्थिक विकास को भी गति देंगे। (लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं)
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