Thursday, March 3, 2011

अगले साल भी जीएसटी लागू होना मुश्किल


 राज्यों से सहमति नहीं बन पाने के कारण अप्रैल 2012 से भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का लागू होना मुश्किल है। खुद सरकार ही इस बात की आशंका जता रही है। इसे तय समय से लागू करने के लिए सरकार ने अब उद्योग जगत की मदद मांगी है। पहले इसे अप्रैल 2011 से लागू किया जाना था मगर कर की दरों सहित अन्य मुद्दे नहीं सुलझ पाने के कारण केंद्र सरकार ने इसे अप्रैल 2012 से अमल में लाने की घोषणा की है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) की बजट बाद आयोजित बैठक में गुरुवार को राजस्व सचिव सुनील मित्रा ने कहा कि जीएसटी विधेयक तब तक मतदान के लिए नहीं लाया जा सकता है जब तक सभी की सहमति नहीं हो जाती है। इसलिए इसकी समयसीमा को लेकर कुछ समस्या आ सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि कर क्षेत्र में होने वाले दोनों सुधारों (डीटीसी व जीएसटी) को अप्रैल 2012 से लागू किया जाए। प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) के अप्रैल 2012 से अमल में आने की उम्मीद है। अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र (जीएसटी) के इस महत्वपूर्ण सुधार को अमल में लाने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच पिछले चार साल से बैठकों का दौर जारी है। सरकार अब संसद के चालू सत्र के दौरान ही जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है। मित्रा ने कहा कि विधेयक अगर संसद के मौजूदा सत्र में भी पेश किया जाता है तो यह स्थायी समिति के पास जाएगा। स्थायी समिति संसद के शीतकालीन सत्र तक भी अपनी सिफारिशें सौंपती है तो सरकार इसे पारित कराने के लिए अगले बजट सत्र तक ही पेश कर सकती है। उन्होंने कहा कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक के एक बार संसद में पारित हो जाने के बाद कम से कम आधे राज्यों से इसकी पुष्टि करानी होगी जिसमें इसमें समय लगेगा। सरकार वर्ष 2007 से ही अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में बदलाव के लिए प्रयासरत है। जीएसटी में केंद्र और राज्यों के स्तर पर लगने वाले ज्यादातर अप्रत्यक्ष करों को समाहित कर लिया जाएगा|

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