देश के बैंकिंग क्षेत्र में उतरने का मंसूबा रखने वाली कंपनियों का इंतजार जल्द खत्म होगा। लगभग एक वर्ष की तैयारी के बाद रिजर्व बैंक (आरबीआइ) निजी क्षेत्र में नए बैंकों के प्रवेश के रोडमैप को अंतिम रूप दे चुका है। इस बारे में दिशानिर्देश एक हफ्ते के भीतर जारी कर दिए जाएंगे। माना जा रहा है कि देश की मजबूत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) व वित्तीय संस्थानों को आरबीआइ कुछ सख्त शर्तो के साथ बैंक खोलने की अनुमति दे देगा। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव आर. गोपालन ने संवाददाताओं को बताया कि इस महीने के अंत तक केंद्रीय बैंक नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने पर अपने दिशानिर्देश सार्वजनिक कर देगा। गोपालन यहां उद्योग चैंबर सीआइआइ के एक सेमिनार के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने संभावित दिशानिर्देश के पहलुओं के बारे में तो नहीं बताया, लेकिन औद्योगिक घरानों को बैंकिंग लाइसेंस देने पर चरणबद्ध रणनीति अपनाई जा सकती है। आरबीआइ ने इस बारे में शुरुआती प्रारूप तैयार किया था। उससे औद्योगिक घरानों को लेकर सोच समझकर नीति तैयार करने को कहा गया है। जानकारों के मुताबिक आरबीआइ अच्छे रिकॉर्ड वाले एनबीएफसी को एक मुकम्मल बैंक के तौर पर काम करने की अनुमति देने को लेकर भी गंभीर है। वित्त मंत्रालय भी इस मामले में केंद्रीय बैंक के साथ है। हालांकि, इस बात की गुंजाइश कम ही है कि औद्योगिक घरानों की तरफ से चलाए जाने वाले एनबीएफसी को बैंकिंग कारोबार में उतरने की अनुमति मिलेगी। आरबीआइ ने ऐसा करने का प्रस्ताव शुरुआत में किया था, लेकिन बाद में आम जन से लेकर उद्योग जगत तक ने इसका विरोध किया। इसके साथ ही यह भी पक्का है कि पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, आइएफसीआइ और आइडीएफसी जैसे सरकारी या अर्द्ध-सरकारी वित्तीय संस्थानों को पूरी तरह से बैंक के तौर पर काम करने की इजाजत मिल जाएगी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2010-11 का बजट पेश करते हुए नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने का एलान किया था। उसके बाद आरबीआइ ने अगस्त, 2010 में इसके शुरुआती दिशानिर्देश जारी किए थे। बाद में इस पर सभी पक्षों के सुझाव व आपत्तियों को शामिल करते हुए जनवरी, 2011 में दिशानिर्देशों को नया रूप दिया गया। फिर इसे वित्त मंत्रालय को भेजा गया था। सरकार का कहना है कि देश के हर व्यक्ति को बैंकिंग सेवा में शामिल करने के लिए नए बैंक खोले जाने की जरूरत है|
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