शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र को अपनी प्राथमिकता बताते हुए केंद्र सरकार ने दोनों को ढांचागत क्षेत्र का दर्जा दे दिया है। इससे इन दोनों क्षेत्रों में निवेश करने वाली कंपनियों को ज्यादा आसानी से कर्ज मिल सकेगा और इन्हें ज्यादा कर लाभ भी मिलेगा। इस घोषणा से स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में अब ज्यादा निजी निवेश आने की संभावना है। शुक्रवार को आम बजट 2011-12 पर जारी चर्चा पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में यह घोषणा की। इसके साथ ही सदन ने 2010-11 की अनुपूरक मांगों पर मंजूरी की मुहर लगा दी। स्वास्थ्य सेवाओं को कर दायरे में लाने सहित कुछ अन्य प्रस्तावों की वापसी पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा, लेकिन संकेत दिए कि इस पर पुनर्विचार किया जा रहा है। इसका एलान बाद में होगा। माना जा रहा है कि 17 मार्च, 2011 को वित्त मंत्री कर संबंधी प्रस्तावों में बदलाव को लेकर कुछ घोषणा करेंगे। वित्त मंत्री के एलान के बाद अब शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों को ढांचागत उप-क्षेत्र का दर्जा मिलेगा और इनमें होने वाले पूंजीगत निवेश को वित्त मंत्रालय के वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) नीति के तहत माना जाएगा। ऐसा होने से सरकार जरूरत पड़ने पर इन परियोजनाओं को अनुदान के जरिए वित्तीय मदद उपलब्ध करा सकेगी। इससे निजी क्षेत्र को परियोजना पूरा करने के लिए आसानी से फंड मिल सकेगा। वित्त मंत्री ने मछलीपालकों को सब्सिडी पर कर्ज देने की सरकार की मौजूदा नीति आगे भी जारी रखने का एलान किया। साथ ही उन्होंने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूहों को 500 करोड़ रुपये नाबार्ड के जरिये दिए जाएंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को अपना कारोबार शुरू करने के लिए आसानी से कर्ज मुहैया हो सकेगा। वित्त मंत्री के जवाब में आम आदमी के लिए कुछ खास नहीं था। महंगाई से आम आदमी को राहत देने के लिए उन्होंने सिर्फ जुबानी जमा पूंजी खर्च की। उन्होंने कई बार यह याद दिलाया कि संप्रग के छह वर्ष के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन पहले के राजग सरकार से बहुत ही बेहतर रहा है। वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि अगले वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था एक बार फिर नौ फीसदी की रफ्तार हासिल कर लेगी। उन्होंने कहा कि महंगाई की ऊंची दर बिल्कुल स्वीकार नहीं है और सरकार इसे कम करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। सरकार महंगाई प्रबंधन के लिए आपूर्ति और मांग के बीच सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रही है|
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