Saturday, February 26, 2011

पुराने नेटवर्क पर ही 200 नई ट्रेनों का बोझ


 ट्रेनों की बुनियादी दिक्कतों का हल निकालने बिना रेल मंत्री ममता बनर्जी ने पुराने नेटवर्क पर ही लगभग 200 और नई ट्रेनों का बोझ डाल दिया है। ट्रेनों के देरी से चलने, साफ-सफाई और खानपान जैसी तमाम तरह की परेशानियों से आजिज रेल यात्रियों को रेल मंत्री का यह सब्जबाग कितना राहत देगा, यह अगले साल ही पता चलेगा। हालांकि उनकी इस पहल में चुनावी राजनीति समेत दूसरी वजहें कम नहीं हैं। रेल मंत्री पश्चिम बंगाल में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की छाया से रेल बजट को दूर नहीं रह सकीं। उन्होंने सिर्फ कोलकाता की उपनगरीय रेल सेवाओं को बढ़ाने के लिए 50 नई ट्रेनें चलाने का एलान कर दिया है। वर्धमान और हावड़ा के बीच दो नान स्टाप ट्रेनें भी चलेंगी। तो दूसरी चेन्नई की उप नगरीय सेवाओं में नौ और ट्रेनें शामिल की जाएंगी, जबकि मुंबई की उप नगरीय ट्रेन ईएमयू में नौ के बजाय 12 डिब्बे हुआ करेंगे। इसी तरह सिकंदराबाद क्षेत्र में दस नई ट्रेनें और पहले से चल रही उपनगरीय ट्रेनों में छह की जगह नौ डिब्बे लगेंगे। जबकि दिल्ली-गाजियाबाद रेलखंड पर दो और ट्रेनें शुरू की जाएंगी। रेल बजट में 56 नई एक्सप्रेस ट्रेनें, 13 पैसेंजर ट्रेनें, 17 नई डेमू, आठ नई मेमू ट्रेनें, पहले से चल रही 32 ट्रेनों की सेवाओं में विस्तार और 17 ट्रेनों के फेरों में वृद्धि का एलान किया। इसके अलावा 9 नई दूरांतो ट्रेनों तो दिल्ली-जयपुर व अहमदाबाद-मुंबई के बीच डबर डैकर एसी ट्रेनों को चलाने का एलान किया। तीन नई शताब्दी ट्रेनें और पहले से चल रही पांच दूरांतो के फेरों में वृद्धि, स्वामी विवेकानंद की 150वीं वर्षगांठ पर फिलहाल चार नई विवेक एक्सप्रेस तो कवि रवींद्रनाथ टैगोर 150 वें जन्मदिन पर चार कवि गुरु एक्सप्रेस चलाने का प्रस्ताव है। दस राज्यों की राजधानियों को उनके खास शहरों से जोड़ने के लिए राज्यरानी एक्सप्रेस ट्रेनें भी रेल यात्रियों की मुश्किलें कम करेंगी। अहम शैक्षणिक स्थानों को जोड़ने के लिए जन्मभूमि गौरव नाम से चार ट्रेनें शुरू की जाएंगी तो युवाओं व विद्यार्थियों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रति रुझान पैदा करने के मद्देनजर टेक्नोलॉजी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें भी शुरू की जाएंगी। ममता अगर वाकई यह सब हकीकत में तब्दील करा सकीं तो भारतीय रेल का बदरंग चेहरा थोड़ा साफ सुधरा जरूर नजर आ सकता है, लेकिन साल दर साल सुधार के वादों के बावजूद भारतीय रेल की कुछ बुनियादी दिक्कतें तो जस की तस ही हैं|

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