Monday, February 21, 2011

रोजगार का मायाजाल


बेरोजगारों की बेबसी को भुनाने की साजिश पर लेखक  की टिप्पणी
बदलते आर्थिक परिदृश्य के कारण बेरोजगारी की स्थिति भयंकर रूप धारण कर रही है। एक ओर तो रोजगार के अवसरों की कमी हो रही है, वहीं दूसरी ओर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी व शोषण का धंधा परवान चढ़ रहा है। तकनीकी युग में ज्यादातर नौकरियों के फॉर्म ऑनलाइन ही भरे जाते है। ऑनलाइन फामरें के नाम पर लोगों की व्यक्तिगत जानकारियों से लेकर बैंक खाता संख्या जैसी महत्वपूर्ण सूचनाओं को जुटाने में हैकरों का भूमिगत तंत्र बड़े पैमाने पर सक्रिय है। इंटरनेट सिक्योरिटी कंपनी ट्रेड माइक्रो के अनुसार हैकर कॉरपोरेट क्षेत्र की साइटों को अपना निशाना बना रहे हैं। साथ ही नौकरी दिलाने वाली फर्जी साइटें भी बना रहे हैं। इन साइटों के माध्यम से अभ्यर्थी की जानकारियों का गलत इस्तेमाल किया जाता है। अगर बैंक खाता संख्या भी हैकरों के हाथ लग गया तो वे उसे साफ कर देते हैं। हैकर प्रमाणपत्रों की प्रति संलग्न करवाकर उन दस्तावेजों का भी अवैध कायरें में इस्तेमाल करते हैं। कुछ मामलों में तो यह भी सामने आया है कि निजी जानकारियों को इकट्ठा करके असामाजिक कायरें को अंजाम दिया जाता है। देश में हर गली-मोहल्ले में रोजगार दिलाने के सेंटर खुल गए हैं, जो बड़ी रकम लेकर युवाओं का शोषण कर रहे हैं। इंटरनेट के माध्यम से रोजगार दिलाने के नाम पर ठगी के अलावा एक दूसरा गिरोह भी काम कर रहा है, जो रोजगार पाने के लिए गलत सूचनाएं देता है। देश में शोषण के नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं। बेरोजगारी से जूझ रहे लाखों युवा आसानी से इनके जाल में फंस जाते हैं। खाड़ी देशों में भेजने वाले ऐजेंट तो ऊंची तनख्वाह के वायदे करके मजदूरों से लाखों रुपये हड़प लेते हैं। खाड़ी देशों में उनसे 12 घंटे काम कराया जाता है और नाममात्र की तनख्वाह दी जाती है। इन मजदूरों के न्यूनतम मानवाधिकारों की भी रक्षा नहीं होती। विदेश भेजने के नाम पर ठगी के मामले रोज सामने आते हैं। आज वैसे भी हर क्षेत्र में रोजगार के नाम पर ठगी चल रही है, झूठे झांसों का बाजार समृद्ध हुआ है चाहे सरकारी क्षेत्र हो या फिर प्राइवेट। सरकारी नौकरियों में विशेषकर पुलिस और फौज में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी होती है। लुभावने प्रचार के माध्यम से रोजगार की गारंटी देकर विभिन्न प्रकार के कोर्स कराए जाते हैं और जब रोजगार दिलाने का समय आता है तब या तो मुकर जाते हैं या फिर किसी मामूली जगह पर छोटी सी नौकरी दिला देते है, जहां पर इन ठगों की पहले से ही साठगांठ रहती है। नौकरी पर रखे गए युवा को कुछ दिनों के बाद निकाल दिया जाता है। ऐसा धंधा देश के हर हिस्से में फैला हुआ है। इस ठग बाजार का एक और पहलू है कि हर शहर में रोजगार केंद्रों पर आवेदन फॉर्मो की बाढ़ सी आई हुई है। इनमें अधिकांश फॉर्म फर्जी होते हैं। ये लोग फर्जी फार्म बेचकर ही बेरोजगारों की जेब से पैसा निकाल लेते हैं। ऐसे में युवा वर्ग का पैसा और समय तो बरबाद होता ही है, साथ ही व्यवस्था पर से उसका विश्र्वास भी उठ जाता है। हाल ही में उत्तर रेलवे द्वारा तो सूचना जारी की गई है कि फर्जी फॉर्म बेचने वालों से सावधान रहें और रेलवे से संबंधित कोई भी फॉर्म भरने से पहले उसकी विश्वसनीयता जांच लें। इससे स्पष्ट है कि इस धंधे के तार बहुत गहरे तक फैले हुए हैं। बेरोजगारों के पैसे और उनकी भावनाओं से खेलने वाले ऐसे ठगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। युवाओं को इस ठगी से बचाने के लिए सूचनाओं की पुष्टि की कारगर व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही इंटरनेट पर छाए इन हैकरों पर अंकुश लगाना जरूरी है। देश के विकास के लिए कैरियर के क्षेत्र में युवाओं को उचित मार्गदर्शन दिया जाना जरूरी है। (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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