Sunday, February 20, 2011

शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा तेजी से बढ़ी महंगाई


नए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों से हुआ खुलासा नए सूचकांक में 2010 की कीमतों को बनाया गया आधार जनवरी 2011 में ग्रामीण क्षेत्रों का सूचकांक 107 पर रहा इस दौरान शहरी क्षेत्रों में 104 के स्तर पर रहा यह आंकड़ा
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के शुक्रवार को जारी शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के नए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आंकड़ों के अनुसार जनवरी में शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में महंगाई ज्यादा तेजी से बढ़ी है। नए सूचकांकों में वर्ष 2010 की कीमतों के वार्षिक औसत को तुलना का आधार बनाया गया है। इसके आधार पर जारी जनवरी 2011 के खुदरा मूल्य सूचकांकों के अनुसार पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, केरल,तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में ग्रामीण इलाकों में जनवरी में खुदरा दामों की वृद्धि औसतन आठ से नौ प्रतिशत रही। इन राज्यों के शहरी इलाकों में मूल्य वृद्धि चार से पांच प्रतिशत रही। जनवरी 2011 में जहां ग्रामीण इलाकों में अखिल भारतीय मुद्रास्फीति की दर सात प्रतिशत रही वहीं शहरी इलाकों में यह चार प्रतिशत रही है। ग्रामीण और शहरी- दोनों इलाकों को मिला कर नई श्रृंखला में अखिल भारतीय मुद्रास्फीति जनवरी 2011 में छह प्रतिशत रही। इस नए सूचकांक में आधार वर्ष 2010 में सूचकांक 100 माना गया है। जनवरी 2011 में ग्रामीण क्षेत्रों में यह बढ़कर 107 और शहरी क्षेत्रों में 104 हो गया। अखिल भारतीय सूचकांक औसत 106 अंक का रहा। इस लिहाज से शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में खुदरा महंगाई ज्यादा तेजी से बढ़ी है। हालांकि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने इन आंकड़ों को फिलहाल अस्थाई बताया है। मंत्रालय ने कहा है कि सूचकांक के पूरी तरह स्थिर होने के बाद ही इस पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए जाएंगे। इस लिहाज से एक साल बाद ही मुद्रास्फीति के वास्तविक आंकड़े सामने आएंगे। ग्रामीण इलाकों में इसकी गणना खाद्य पदार्थ, पेय और तंबाकू, ईंधन और प्रकाश, कपडे और जूते चप्पल तथा अन्य उत्पाद पांच समूह में की गई है। विभिन्न राज्यों में ग्रामीण इलाकों में मूल्यों में उतार-चढ़ाव अधिक देखा गया। विभिन्न राज्यों के ग्रामीण इलाकों में खुदरा मूल्य सूचकांक 102 से लेकर 109 अंक तक रहा। ज्यादातर राज्यों में यह 108 और 109 अंक रहा जबकि शहरी इलाकों में न्यूनतम और अधिकतम के बीच फासला कम रहा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार शहरी इलाकों में यह 103 से 107 के बीच रहा। ज्यादातर शहरों में सूचकांक 104 अंक रहा इसलिए इसका अखिल भारतीय औसत में भी 104 अंक ही रहा।


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