Saturday, February 26, 2011

महंगाई देखकर बढ़ाइए आयकर सीमा


इस बार के बजट से देश की जनता को बहुत उम्मीदें हैं। जनता चाहती है कि सरकार कुछ ऐसे ठोस कदम उठाए जिनसे लोगों का कल्याण हो और उन पर पड़ने वाला करों का बोझ कुछ कम हो। इसलिए कि महंगाई और अन्य समस्याओं से लोगों का हाल बेहाल है। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को नये वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए सबसे ज्यादा जिस विषय पर ध्यान देने की जरूरत है, वह है महंगाई। सरकार को नये बजट के जरिए बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए जरूरी कदम उठाने की घोषणा करनी चाहिए। आयकर की दरें निर्धारित करते समय भी वित्त मंत्री को बढ़ती महंगाई को दिमाग में रखना चाहिए। अगर सरकार महंगाई को जनता को परेशान करने वाला मुद्दा मानती है तो उसे नये बजट में सबसे पहले तो आयकर में छूट की सीमा बढ़ानी चाहिए। अभी यह आम लोगों के लिए 1.60 लाख रुपये है जबकि महिलाओं के लिए आयकर में छूट की सीमा 1.90 लाख रुपये है। पिछले साल की महंगाई को देखें तो यह साफ मालूम पड़ता है कि लोगों के खर्च काफी बढ़ गए हैं। इस दृष्टि से आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने की जरूरत स्पष्ट तौर पर महसूस होती है। आयकर सीमा को कम से कम 40,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये बढ़ा देना चाहिए। इसका मतलब यह है कि आयकर में छूट की समान्य सीमा तकरीबन दो लाख रुपये से लेकर 2.10 लाख रुपये हो जाएगी और महिलाओं के लिए यह सीमा मौजूदा 1.90 लाख से बढ़कर 2.30 से 2.40 लाख तक पहुंच जाएगी। महंगाई की मार से बेहाल देश के आम नागरिकों को सरकार के इस कदम से बड़ी राहत मिलेगी। अब देखना है कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है? आयकर के स्लैब में परिवर्तन एक साहसिक कदम होगा और बड़ा सवाल यही है कि क्या वित्त मंत्री ऐसा करने का साहस जुटा पाएंगे? सरकार देश की अर्थव्यवस्था को वाकई सही दिशा में ले जाना चाहती है तो उसे आयकर के स्तर पर ही एक बेहद जरूरी और साहसिक कदम उठाना होगा। सरकार को आयकर में ही कोई ऐसा ठोस बंदोबस्त करना चाहिए जिसके जरिए काला धन बाहर निकल सके। सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे काला धन बनने की संभावना ही खत्म हो जाए या कम से कम हो जाए। इसके अलावा सरकार को देश के बाहर जमा यहां के लोगों के काले धन को वापस लाने के लिए भी जरूरी बंदोबस्त करना चाहिए। इस मसले पर सरकार अब तक कोई ठोस कदम उठाती नहीं दिखी है। इसलिए बजट में ही कुछ ऐसे प्रावधान होने चाहिए जिसके जरिए विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू हो सके। अगर सरकार ने काले धन की समस्या पर काबू पा लिया तो यकीनन यह कहा जा सकता है कि देश की कई आर्थिक समस्याओं का समाधान खुद ब खुद हो जाएगा। जहां तक आयकर का सवाल है तो सरकार को वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में आयकर के समग्र ढांचे में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहिए। इसलिए भी ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि अगले साल से प्रत्यक्ष कर संहिता लागू करने की योजना सरकार ने बनाई है। इसके बावजूद अगर सरकार आयकर के वर्तमान ढांचे में बहुत ज्यादा बदलाव करती है तो इससे समस्या आसान होने के बजाए और कठिन होगी। खामख्वाह नई बहस पैदा होगी। इससे कई तरह के विवाद अनावश्यक रूप से उभरेंगे। इसके अलावा, सरकारी वेतनभोगियों के लिए एक और अहम कदम उठाना चाहिए। ये लोग इस बात से परेशान हैं कि उन्हें अब स्टैंर्डड डिडक्शन नहीं मिल रहा है। 40 साल से मिल यह सुविधा पांच साल पहले यह सेवा वापस ले ली गई। इससे वेतनभोगियों में बड़ा रोष है। इनका कहना है कि बढ़ती महंगाई और दूसरे मद में बढ़ते हुए खर्च को देखते हुए उनसे इस सुविधा को वापस लिया जाना ठीक नहीं है। इसलिए इन वेतनभोगियों के लिए स्टैंर्डड डिडक्शन की सुविधा एक बार फिर से बहाल की जानी चाहिए। ऐसा करने से देश के एक बड़े वर्ग को लाभ मिलेगा और ऐसे लोगों पर महंगाई की वजह से जो बोझ बढ़ा है, उससे इन्हें थोड़ी राहत मिलेगी।

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