Saturday, February 12, 2011

arthvyavastha


देश की ढांचागत सुविधाओं के विकास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को यहां वल्लारपदम द्वीप स्थित देश के पहले अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आइसीटीटी) का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित करके इसकी इबारत लिखी। आइसीटीटी परियोजना की लागत 6,250 करोड़ रुपये है। इस बंदरगाह टर्मिनल के शुरू होने से निर्यातकों को काफी लाभ होगा। उन्हें अंतरराष्ट्रीय जलमार्गो पर चलने वाले बड़े जलपोतों पर माल लदान की सुविधा मिलेगी। प्रधानमंत्री ने इस परियोजना को निजी-सार्वजनिक भागीदारी का बेजोड़ नमूना बताया। उन्होंने फरवरी, 2005 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। उन्होंने कहा कि एक वैश्विक हब वाले बंदरगाह और ट्रांसशिपमेंट सुविधाओं की कमी से देश के व्यापार में बाधा आ रही थी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर गौर किया कि देश के 60 फीसदी निर्यात-आयात कंटेनर सिंगापुर और कोलंबो जैसे दूसरे देशों के बंदरगाहों से बड़े मालवाहक जहाजों पर लादे जाते थे। इससे प्रति कंटेनर 300 डॉलर का अतिरिक्त खर्च आता था और 7-10 दिनों का अतिरिक्त समय भी लगता था। आइसीटीटी परियोजना वाले इलाके को विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) घोषित किया गया है, जो दो राष्ट्रीय राजमार्गो के अलावा 8.5 किलोमीटर रेलमार्ग से जुड़ा है। सिंह ने कहा कि केरल में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरने की संभावना है और राज्य अपने उपलब्ध कौशल और योग्य मानव संसाधन का इस्तेमाल कर ऐसा कर सकता है। यह राज्य कई क्षेत्रों में देश का नेतृत्व करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल का समर्पण केरल के विकास के प्रति केंद्र की प्रतिबद्धता का संकेत है। साथ ही यह पश्चिम एशिया खासकर संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत की मित्रता का भी एक मजबूत प्रतीक है। इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरएस गवई, मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन और रक्षा मंत्री एके एंटनी भी उपस्थित थे।

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