ममता बनर्जी के इस रेल बजट के बाद भी रेलवे में जो जैसा था वैसा ही रहने वाला है। बदलाव की उम्मीदें चूर हैं। ममता ने साबित किया कि उनकी रेल यूं ही चलेगी। पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उन्होंने किराये-भाड़े को छुआ तक नहीं, बल्कि योजनाओं का ऐसा पिटारा खोला जिनके पूरा होने में संदेह ही संदेह है। ममता की घोषणाओं में उम्मीदों के सितारे ज्यादा हैं, हकीकत के कम। राइटर्स बिल्डिंग यानी बंगाल विधानसभा जाने की जल्दी में उन्होंने रेल बजट के जरिये जो वोट बैंक एक्सप्रेस दौड़ाई है उसके तहत 16 हजार पूर्व सैनिकों समेत कोई दो लाख नए कर्मचारियों की भर्ती का एलान कर डाला है। इससे रेलवे फिर उसी अंधी सुरंग में जा सकती है जिसका मंुह राकेश मोहन कमेटी ने बंद किया था। उन्होंने संरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता का वादा तो किया मगर यह आठ जोन में एंटी कोलीजन डिवाइस तथा सभी मानव रहित क्रासिंग पर चौकीदार तैनात करने तक सीमित रहा। वर्ल्डक्लास स्टेशनों और हाईस्पीड ट्रेनों के सुनहरे सपने में खोए यात्रियों को उन्होंने नए आदर्श स्टेशनों और गो इंडिया स्मार्ट कार्ड का लालीपाप थमा दिया। ममता की लोकलुभावन कोशिशों का एकमात्र सकारात्मक पहलू यह है कि इनसे एक न एक दिन रेलवे लाइन क्षमता का विस्तार होगा और रोलिंग स्टॉक की कमी दूर होगी। इसके लिए रेल बजट में कई नई वैगन और कोच फैक्टि्रयों का एलान किया गया है। उम्मीद के मुताबिक ही 2011-12 के रेल बजट में प.बंगाल के अलावा पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत को खास तरजीह दी गई है। इन सभी क्षेत्रों में विस चुनाव होने हैं। रायबरेली कोच फैक्ट्री को तीन महीने में चालू किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में ब्रिज फैक्ट्री व इंजीनियरिंग केंद्र की स्थापना का वादा वहां के हालात पर केंद्र की संजीदगी को दर्शाने के लिए है। ममता को जो केंद्र से 15 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजटीय समर्थन मिला है वह इसी सबके तो है। ऐसे में जिन इलाकों को कुछ कम मिला है उन्हें और इंतजार करना होगा। ममता ने आम आदमी और कमजोर तबके के प्रति अपनी सहानुभूति नए सिरे से दर्शाने की कोशिश की है।वह रेलवे को सामाजिक क्रांति का जरिया बनाना चाहती हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री रेल विकास योजना के साथ एक फंड बनाने की बात भी कही है। नक्सल क्षेत्रों में आए दिन रेल यातायात बाधित किए जाने से परेशान दीदी ने लोगों को लालच दिया है कि यदि उनके यहां रेल सेवाएं ठीक-ठाक चलीं तो उन्हें अतिरिक्त गाडि़यां और डिब्बे मिलेंगे। दुनिया भर में पर्यावरण पर छिड़ी मुहिम में शिरकत करते हुए ममता ने ग्रीन रेलवे का नारा भी दिया है। उन्होंने रेलवे कर्मियों, खिलाडि़यों, शौर्य पदक विजेताओं, पत्रकारों आदि को रियायतें बढ़ा दी हैं। पिछली घोषणाओं के क्रियान्वयन को लेकर आलोचनाओं का शिकार रहीं ममता इस बार थोड़ा सावधान रहीं। उन्होंने 236 नए आदर्श स्टेशन, 45 बजट होटल व बहुउद्देश्यीय परिसरों के अलावा 25 नई लाइनों, छह अमान परिवर्तन और 23 दोहरीकरण परियोजनाओं के एलान के साथ उनके क्रियान्वयन के लिए केंद्रीय संगठन बनाने की बात कही है। 107 नई लाइनों, 4 अमान परिवर्तन,16 दोहरीकरण परियोजनाओं के सर्वेक्षण का वादा भी इसी बूते किया गया है। ममता की दूरंतो सफल रही है सो उन्होंने नौ और दूरंतो का वादा कर सबको खुश करने की कोशिश की है। तीन नई शताब्दी, चार कविगुरु, चार विवेक एक्सप्रेस तथा 56 अन्य एक्सप्रेस भी चलेंगी। जयपुर-दिल्ली और अहमदाबाद-मुंबई एसी डबल डेकर, 13 पैसेंजर, 22 डेमू और आठ मेमू सेवाओं का वादा भी है। साथ ही 33 गाडि़यों के मार्ग और 17 के फेरे बढ़ाए गए हैं|
No comments:
Post a Comment