Thursday, February 3, 2011

निर्यात के नए बाजार बने संजीवनी


निर्यात के मोर्चे पर अब स्थिति तेजी से सुधर रही है। छोटे-छोटे बाजारों में भारतीय माल की मांग बढ़ने का असर निर्यात आंकड़ों पर झलक रहा है। पिछले साल के मुकाबले दिसंबर में निर्यात 36.4 प्रतिशत बढ़कर 22.5 अरब डॉलर पहुंच गया। जबकि नौ महीनों में यह 29.5 प्रतिशत बढ़कर 164.70 अरब डॉलर रहा। इस वृद्धि की एक वजह यह भी है कि अमेरिका व यूरोप के मजबूत बाजारों में भारतीय माल की पूछ कम होने से सरकार ने छोटे-छोटे बाजार तलाशने का नुस्खा आजमाया था। सरकार का यह प्रयास कुछ रंग लाया है। दिसंबर में निर्यात 33 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इस दौरान इंजीनियरिंग में 112, इलेक्ट्रॉनिक्स में 88 प्रतिशत, मैन मेड फाइबर में 30 और यार्न के निर्यात में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है कि सरकार चालू वित्त वर्ष 2010-11 में अपने 200 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को छू लेगी। वैसे सरकार ने अगले कुछ वर्षो में निर्यात को दोगुना करने का खाका तैयार कर लिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने मंगलवार को विदेश व्यापार के ताजा आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक दिसंबर, 2010 में व्यापार घाटा घटकर 2.63 अरब डॉलर रह गया। पिछले वर्ष के समान महीने में यह 11.75 अरब डॉलर था। हालांकि अप्रैल-दिसंबर, 2010 के नौ महीनों में यह घाटा बढ़कर 82.01 अरब डॉलर रहा, जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में 80.13 अरब डॉलर था। आयात घटने से बीते माह व्यापार घाटे में कमी आई है। दिसंबर में आयात 11.1 प्रतिशत घटकर 25.13 अरब डॉलर रहा। इस बारे में निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो के अध्यक्ष रामू एस. देवड़ा ने कहा कि ताजा आंकड़ों के बाद उम्मीद है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में 220 अरब डॉलर का निर्यात आसानी से हासिल कर लेगी। भारत को नए और क्षमतावान बाजारों में कदम बढ़ाने चाहिए। इससे निर्यात को भी बल मिलेगा।


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