Thursday, February 17, 2011

विश्व बैंक ने कहा, खाद्य वस्तुओं की कीमतें खतरनाक स्तर पर


बढ़ती कीमतों से अत्यंत गरीब की श्रेणी में आ गए हैं दुनिया के 4.4 करोड़ लोग
र्वल्ड बैंक की रिपोर्ट विश्व संस्था ने कहा-2008 के स्तर पर पहुंच गई खाद्य वस्तुओं की महंगाई वर्ष 2008 में खाने-पीने की चीजों को लेकर हुए थे दंगे 1.25 डालर से कम दै निक आय वालों को अत्यंत गरीब मानता है बैंक
न्यूयार्क (एजेंसी)। विश्व बैंक ने वैश्विक स्तर पर खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमत को लेकर चिंता व्यक्त की है। बैंक का कहना है कि बढ़ती कीमत के कारण विकासशील देशों के 4.4 करोड़ लोगों को अत्यंत गरीब बना दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक गेहूं, मक्का, चीनी और तेल जैसे जरूरी जिंसों के अलावा सब्जी के दाम चढ़ने से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ी है। विश्व बैंक ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, ‘खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमत बनी हुई है और यह 2008 के स्तर पर पहुंच गई है। इसके कारण विकासशील देशों में जून से लेकर अब लगभग 4.4 करोड़ लोगों को और गरीबी की स्थिति में ढकेल दिया है।विश्व बैंक के अनुसार एक दिन में 1.25 डालर से कम की आमदनी वाले लोगों को अत्यंत गरीब माना जाता है। विश्व बैंक के अध्यक्ष राबर्ट बी. जोएलिक ने कहा कि वैश्विक स्तर पर खाद्य वस्तुओं की कीमत बढ़ रही है और यह खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। इससे करोड़ों गरीब लोगों के लिए खतरनाक हालात पैदा हो गए हैं। विश्व बैंक का खाद्य कीमत सूचकांक अक्टूबर 2010 और जनवरी 2011 के बीच 15 फीसद बढ़ा है। विश्व बैंक के मुताबिक जून 2010 और जनवरी 2011 के बीच गेहूं की कीमत करीब दोगुनी हो गई है जबकि चावल के भाव में धीमी दर से बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा चीनी, खाद्य तेल तथा सब्जी के भी दाम बढ़े हैं। खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमत के कारण मुद्रास्फीति भारत और चीन जैसे तेजी से विकास के रास्ते पर अग्रसर देशों में ऊंची बनी हुई है। बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण वैश्विक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को खतरा है। रावर्ट जोएलिक ने कहा कि 2008 में खाने-पीने की चीजों को लेकर दंगे हुए। मौजूदा समय में बढ़ती कीमत ज्यादा गंभीर हो सकती है। उन्होंने कहा कि लोगों को अन्य चीजों के अलावा अनाज भंडार की गुणवत्ता और मात्रा के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए।

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