Wednesday, February 2, 2011

इंजीनियरिंग निर्यात में आई जबर्दस्त तेजी


पिछले साल दिसंबर में देश का इंजीनियरिंग निर्यात करीब 50 फीसदी बढ़कर 5.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अमेरिका और पश्चिम एशिया से मांग बढ़ने की वजह से निर्यात में यह वृद्धि हुई। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईपीसीएच) के चेयरमैन अमन चड्ढा ने कहा कि हमें अमेरिका और पश्चिम एशियाई बाजारों से अच्छे ऑर्डर हासिल हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों में मांग की स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई है और वहां मांग बढ़ना अभी बाकी है। वर्ष 2009-10 में किए गए कुल 32.5 अरब डॉलर के इंजीनियरिंग निर्यात में अमेरिका और यूरोप का करीब 65 फीसदी रहा। अप्रैल-दिसंबर, 2010-11 के दौरान निर्यात इससे पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले लगभग 50 फीसदी बढ़कर 37 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अमेरिका और यूरोप जैसे पारंपरिक बाजारों पर निर्भरता घटाने के लिए निर्यातक अब दक्षिण पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाजारों में संभावनाएं तलाश रहे हैं। मसालों का निर्यात भी बढ़ा अदरक और लहसुन के निर्यात में वृद्धि के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में मसालों का निर्यात तीन फीसदी बढ़कर 3.91 लाख टन पर पहुंच गया। पिछले वित्त वर्ष 2009-10 की समान अवधि में भारत ने 3.78 लाख टन मसालों का निर्यात किया था। मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार मूल्य के हिसाब से अप्रैल-दिसंबर की अवधि के दौरान निर्यात 16 फीसदी बढ़कर 4,880 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले की समान अवधि में यह 4,222 करोड़ रुपये था। आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में अदरक का निर्यात बढ़कर 7,800 टन हो गया। साल भर पहले की इसी अवधि में यह 4,150 टन था। भारत ने अप्रैल-दिसंबर, 2010 में 16,035 टन लहसुन का निर्यात किया। वित्त वर्ष 2009-10 की समान अवधि के निर्यात से यह 80 फीसदी अधिक है। व्यापारियों ने बताया कि वैश्विक बाजार में लहसुन की आपूर्ति कम होने के कारण इसके निर्यात में तेजी आई है। समीक्षाधीन अवधि में मिर्च का निर्यात 22 प्रतिशत बढ़कर 1.79 लाख टन रहा, जबकि इस दौरान सौंफ का निर्यात 24 प्रतिशत बढ़कर 6,300 टन पर पहुंच गया।



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