Friday, February 11, 2011

अब स्वास्थ्य बीमा में भी पोर्टेबिलिटी


मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के बाद अब स्वास्थ्य बीमा की बारी है। बीमा के क्षेत्र में बड़े बदलाव का शुभारंभ करते हुए इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के दिशानिर्देश लागू कर दिए हैं। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के इन नए नियमों के बाद अब अगर आप किसी कंपनी की हेल्थ बीमा पॉलिसी से संतुष्ट नहीं हैं तो उसके फायदे को बनाए रखते हुए दूसरी कंपनी का स्वास्थ्य बीमा ले सकेंगे। इससे पुरानी बीमारियों का बीमा करवाने वाले पॉलिसीधारकों को सबसे ज्यादा सहूलियत होगी। ये नए नियम एक जुलाई, 2011 से सभी पुराने व नए हेल्थ बीमा उत्पादों पर लागू होंगे। मौजूदा नियम के मुताबिक पुरानी बीमारियों का बीमा करवाना सबसे मुश्किल होता है। स्वास्थ्य बीमा देने वाली जीवन बीमा या गैर जीवन बीमा कंपनियों ने इसके लिए अलग-अलग मानदंड बना रखे हैं। कुछ कंपनियां तीन वर्षो की लगातार पॉलिसी के बाद पुरानी बीमारियों को कवरेज देती हैं तो कुछ पांच वर्षो के बाद। ऐसे में अगर आपने तीन साल तक एक ही कंपनी से हेल्थ बीमा पॉलिसी करवाई और उसके बाद किसी अन्य का उत्पाद लेते हैं तो फिर आपको पुरानी कंपनी के कवेरज का लाभ नहीं मिलेगा। मतलब आपको पुरानी बीमारियों के लिए फिर से तीन साल प्रीमियम देना होगा, तभी जाकर बीमा कवरेज मिलेगा। साथ ही मान लीजिए कोई कंपनी तीन वर्ष बाद पुरानी बीमारियों का कवरेज दे रही है। किसी ग्राहक ने दो वर्ष एक कंपनी से बीमा करवाया और तीसरे वर्ष वह किसी अन्य का चयन करता है। ऐसी स्थिति में नई कंपनी उसे एक वर्ष बाद ही पुरानी बीमारियों का कवेरज देने लगेगी। अभी तक कंपनियों की निगाह में अन्य कंपनियों को दिए गए प्रीमियम का कोई महत्व नहीं था। इरडा ने इस बारे में जारी नियमों में स्पष्ट किया है कि सभी तरह की हेल्थ बीमा पॉलिसियों को अब पोर्टेबिलिटी के योग्य माना जाएगा। लेकिन साथ ही ग्राहकों को यह कहा गया है कि उन्हें एक कंपनी की बीमा पॉलिसी की अवधि खत्म होने से पहले ही दूसरी की बीमा पॉलिसी के लिए आवेदन करना होगा। दोनों कंपनियों को आवश्यक खाना-पूरी करने के लिए दस दिनों का समय दिया गया है। जानकारों का मानना है कि इससे हेल्थ बीमा के क्षेत्र में प्रतिस्पद्र्धा बढ़ेगी। इसके अलावा पुराने ग्राहकों के साथ कंपनियां सौतेला व्यवहार नहीं कर सकेंगी।


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