Friday, February 4, 2011

दालों ने भड़काई महंगाई की आग


सब्जियों के बाद अब महंगाई की तपिश से दालों की कीमत में फिर उबाल आने लगा है। दालों की थोक कीमतें चार प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। इसके अलावा सब्जियों, फलों और दूध के दामों ने थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य महंगाई को एक सप्ताह में करीब डेढ़ प्रतिशत बढ़ा दिया है। बेलगाम होती महंगाई को काबू करने में सरकार के नुस्खे नाकाफी साबित हो रहे है। 22 जनवरी को समाप्त सप्ताह में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 17.05 प्रतिशत पर पहुंच गई। हमेशा की तरह इस बार भी वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बढ़ती महंगाई को चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि खाद्य उत्पादों में महंगाई थामने के लिए सरकार मांग व आपूर्ति के अंतर को पाटने का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऊंची कीमतों की समीक्षा के लिए वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के साथ एक बैठक भी की। हालांकि इसके बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साप्ताहिक आधार पर अरहर के दाम चार प्रतिशत तक बढ़े हैं। इसके अलावा मसूर, मूंग व उड़द के दाम भी एक से दो प्रतिशत बढ़े हैं। दालों की कीमतों में वृद्धि का क्रम पिछले एक दो सप्ताह से बना हुआ है। इनके अतिरिक्त मसालों, समुद्री मछली, जौ, फल और सब्जियों की कीमतों में दो-दो प्रतिशत का इजाफा हुआ है। मक्का, गेहूं, ज्वार व चना के दाम एक-एक प्रतिशत बढ़े हैं। एक साल के दौरान प्याज के कीमतों में 130.41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मार्च, 2010 से प्याज के दाम 286.03 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इसी तरह एक साल में सब्जियां 77.05 प्रतिशत तक महंगी हुई हैं। इस दौरान फल, दूध, अनाज तथा चावल की कीमतों में भी खासा इजाफा हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि रिजर्व बैंक अगले महीने मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही की समीक्षा में नीतिगत दरों में और वृद्धि कर सकता है। अरब क्षेत्र में राजनीतिक संकट से वैश्विक कच्चे तेल की कीमत में तेजी का दौर लंबा खिंचने से सामान्य मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में 8.43 फीसदी रही। हाल के दिनों में खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी से सरकार पर काफी दबाव है।



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