रेलवे के माध्यम से सामाजिक क्रांति की कोशिश
ममता बनर्जी का इस बार का रेल बजट उम्मीद से बेहतर है। इतने बढ़िया रेल बजट की वाकई उम्मीद नहीं थी। आर्थिक तंगी से जूझ रही भारतीय रेल का इस बार का बजट चुनौतीपूर्ण लग रहा था, लेकिन ममता बनर्जी ने लोकलुभावन बजट पेश कर आम आदमी का दिल जीतने की कोशिश की है। बजट पेश करने से पहले उन्होंने कहा था कि यह आम आदमी का बजट होगा। अपना वायदा उन्होंने पूरा किया है। उन्होंने इस वर्ष ऐसी नीतियों पर ज्यादा जोर दिया है, जिससे रेलवे के व्यापार में बढ़ोतरी हो।
इस रेल बजट की सबसे महत्वपूर्ण बात है कि रेलवे के इतिहास में पहली बार रेलवे की कुल आमदनी 109,393.13 करोड़ हो रही है-यानी एक लाख करोड़ से ज्यादा। रेल मंत्रालय 6734.72 करोड़ रुपये का लाभांश वित्त मंत्रालय को देगा। यह ममता बनर्जी और रेल मंत्रालय के बेहतर वित्तीय प्रबंधन का ही नतीजा कहा जाएगा। अकसर जब वित्त मंत्रालय की ओर इस ब्याज की रकम की मांग होती है, तो रेल मंत्री इस मामले में टाल-मटोल करते हैं। लेकिन ममता बनर्जी ने पिछले वर्ष भी इसका भुगतान किया था और इस बार भी इसके भुगतान की बात कही है, जो निश्चय ही अच्छा संकेत है।
रेल मंत्री ने एक तरफ जहां यात्री किराये में बढ़ोतरी नहीं की, वहीं रेलवे की कमाई बढ़ाने पर भी जोर दिया। अपने बजट भाषण की शुरुआत में ही उन्होंने रेलवे के माध्यम से सामाजिक क्रांति की बात की, जिसे प्रधानमंत्री रेलवे विकास परियोजना का नाम दिया जाएगा। इस वित्त वर्ष के लिए रेलवे की वार्षिक योजना 57,630 करोड़ रुपये की है। रेलवे की परिचालन लागत का अनुपात भी पहले से कम हुआ है। अब यह 91.1 फीसदी पर आ गया है, जो कि एक शुभ संकेत है। यानी रेलवे को सौ रुपये कमाने के लिए अब 91.1 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि पहले यही सौ रुपये कमाने के लिए 99 रुपये खर्च करने पड़ते थे। रेलवे का लाभ भी बढ़कर 5258.41 करोड़ रुपये हो गया है।
दुरंतो रेल सेवा का विस्तार करते हुए रेल मंत्री ने नौ नई दुरंतो, दो डबल डेकर एसी और 56 नई एक्सप्रेस गाड़ियों की घोषणा की है। स्वामी विवेकानंद और रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं वर्षगांठ के मौके पर उनके नाम पर गाड़ी चलाने की घोषणा के साथ ही उन्होंने राजधानी एक्सप्रेस की तर्ज पर राज्यरानी एक्सप्रेस चलाने की भी घोषणा की है। इसी तरह बांग्लादेश तक रेल पटरियां बिछाने का ऐलान भी स्वागत योग्य है। ऑनलाइन बुकिंग चार्ज में कटौती की घोषणा के अलावा रेल मंत्री ने रेलवे में पहली बार 16,000 पूर्व सैनिकों को नौकरी दिए जाने की घोषणा भी की। इसके अतिरिक्त आगामी वित्त वर्ष में उन्होंने 700 किलोमीटर रेल पटरी बिछाने का लक्ष्य रखा है। नई रेल लाइनों के लिए उन्होंने 7,181 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
इस वर्ष एकाध नक्सली वारदातों के कारण हुई छोटी-मोटी दुर्घटनाओं के अलावा कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है। खन्ना आयोग की सिफारिश पर अमल करने के कारण रेलवे की सुरक्षा पहले से कहीं बढ़ी है और रेल यात्रा अब पहले की तुलना में सुरक्षित मानी जाने लगी है। पिछले दिनों गुर्जर आंदोलन के दौरान रेल सेवा प्रभावित हुई थी, लेकिन उस समय भी रेलवे ने कोई गाड़ी रद्द नहीं की, बल्कि उसे दूसरे रूटों से चलाया। इससे यात्रियों को थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन रेलवे को कोई खास घाटा नहीं हुआ। रेल मंत्री ने अपने बजट में ऑल इंडिया रेल सिक्योरिटी हेल्पलाइन सेवा शुरू करने की भी घोषणा की है।
इस रेल बजट की एक और अच्छी बात यह है कि आर्थिक चुनौतियों के बावजूद इसमें सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की बात कही गई है। इस बजट में जहां रेलवे को औद्योगिक आधार प्रदान करने की कोशिश की गई है, वहीं रेलवे के नेटवर्क के फैलाव का भी वायदा किया गया है। यह सही है कि ज्यादातर रेल परियोजनाएं पश्चिम बंगाल के लिए हैं; आगामी विधानसभा चुनाव के संदर्भ में इसे समझा भी जा सकता है। लेकिन केरल, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के उपेक्षित इलाकों के लिए भी रेल परियोजनाओं की घोषणा इस बजट में की गई है। इससे देश के दूरस्थ इलाके भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकेंगे।
उत्तर प्रदेश के रायबरेली कोच फैक्टरी के बारे में रेल मंत्री ने बताया कि अगले तीन महीनों में वहां से रेल कोच मिलने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने जहां बड़े शहरों में एक एकीकृत सब-अर्बन रेल तंत्र विकसित करने की बात की, वहीं नंदीग्राम और बोंगाइगांव में नई रेल फैक्टरी स्थापित करने की भी घोषणा की। उन्होंने मणिपुर में एक डीजल लोकोमोटिव प्लांट लगाने का ऐलान तो किया ही, जम्मू-कश्मीर में भी एक रेल ब्रिज फैक्टरी लगाने की घोषणा की।
ममता बनर्जी ने अपने इस बजट भाषण में सिंगूर में रेलवे का औद्योगिक पार्क बनाने की घोषणा की है। आपको याद होगा कि कभी वहां के किसानों से जबर्दस्ती भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी ने आंदोलन छेड़ा था। लेकिन वहां के लोगों का जीवन स्तर बेहतर करने के उद्देश्य से उन्होंने वहां औद्योगिक पार्क बनाने की घोषणा की है। इसी तरह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी नई रेल लाइन बिछाने की घोषणा की गई है। गढ़चिरौली और बस्तर के बीच रेल पटरी बिछाने की घोषणा इसी का सुबूत है।
बजट में कल्याणकारी योजनाएं भी कई हैं। जैसे महिलाओं की वरिष्ठ नागरिकता की उम्र सीमा घटाकर 58 वर्ष कर दी गई है, जबकि विकलांगों को राजधानी एक्सप्रेस जैसी गाड़ियों में यात्रा करने पर छूट देने की घोषणा है। इस बजट में रेल कर्मचारियों के बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के अलावा कई तोहफे हैं। रेल पटरियों के किनारे रहने वाले गरीबों की रिहाइश के लिए घर बनाने की घोषणा की भी प्रशंसा करनी चाहिए|
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