विश्व अर्थव्यवस्था में भारत के बढ़ते महत्व को देखते हुए विश्व बैंक आगामी पंचवर्षीय योजना के दौरान ज्यादा वित्तीय मदद पहुंचा सकता है। दरअसल, विश्व बैंक यह बखूबी समझ रहा है कि जितनी तेजी से भारत की अर्थव्यस्था मजबूत होगी उतनी ही तेज गति से वैश्विक अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी। विश्व बैंकके अध्यक्ष रॉबर्ट बी. जोएलिक सोमवार से चार दिनों की भारत यात्रा पर आ रहे हैं। इस दौरान वे भारत को ढांचागत क्षेत्र सहित कई अन्य क्षेत्रों में आर्थिक मदद बढ़ाने का एलान कर सकते हैं। भारत की यात्रा शुरू करने से पहले जोएलिक ने कहा है कि भारत की तेज आर्थिक विकास दर की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने में मदद मिल रही है। वैसे अभी भी विकसित और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। भारत विश्व आर्थिक मंच पर प्रमुख भूमिका निभाने वाले देशों में शामिल हो चुका है। यही वजह है कि विश्व बैंक भारत के साथ और ज्यादा गहरे संपर्क में काम करना चाहता है। जोएलिक ने अपनी यात्रा के उद्देश्यों के बारे में बताया है कि वह मुख्य तौर पर यह समझना चाहते हैं कि आगामी योजना (12वीं पंचवर्षीय योजना) के लिए भारत की प्राथमिकताएं क्या हैं। जोएलिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया सहित कई अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मिलेंगे। विश्व बैंक प्रमुख यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि भारत की भावी विकास योजनाएं किस प्रकार की हैं और इसके लिए धन कहां से मुहैया कराया जा रहा है। वैसे अपनी इस यात्रा के दौरान जोएलिक सड़क विकास कार्यक्रम में वित्तीय सहयोग देने संबंधी एक समझौते पर भी भारत सरकार के साथ समझौता करेंगे। मालूम हो कि आज से तीन-चार वर्ष पहले भारत ने विश्व बैंक सहित तमाम विदेशी एजेंसियों से आर्थिक मदद लेनी कम कर दी थी। मगर वैश्विक मंदी के बाद भारत ने विश्व बैंक से मदद लेने की रफ्तार बढ़ा दी है। पिछले वर्ष विश्व बैंक ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों के वित्तीय पुनर्गठन के लिए अरबों रुपये की मदद मुहैया कराई है। जुलाई, 2009 से जून, 2010 के दौरान विश्व बैंक ने भारत को 11.1 अरब डॉलर की धनराशि मुहैया कराई है। बैंक आगामी योजना (2012-17) के दौरान भारत को खास तौर पर बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए आर्थिक सहायता देना चाहता है।
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