Sunday, January 9, 2011

जबर्दस्त निर्यात ने किया सरकार को बेफिक्र

दिसंबर में 36.4 फीसदी बढ़कर 22.5 अरब डॉलर रहा, 33 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा
निर्यात के मोर्चे पर अब सरकार बेफिक्र होती जा रही है। ग्लोबल मंदी के बाद निर्यात में आई सुस्ती अब दूर होती दिखने लगी है। दिसंबर में निर्यात 22.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 36.4 प्रतिशत अधिक है। बीते 33 महीनों में यह निर्यात की सबसे तेज रफ्तार है। चालू वित्त वर्ष की तीन तिमाहियों की औसत वृद्धि दर भी अब सम्मानजनक 29.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल से दिसंबर के नौ महीने की अवधि में देश से 164.7 अरब डॉलर का निर्यात हुआ है। विदेश व्यापार में आयात की धीमी होती रफ्तार भी सरकार को राहत दे रही है। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने बताया कि दिसंबर में 25.1 अरब डॉलर का आयात किया गया जो पिछले साल के मुकाबले 11.1 प्रतिशत कम है। इसका असर व्यापार घाटे पर भी हुआ है जो दिसंबर 2010 में घटकर 2.6 अरब डॉलर रह गया है। पिछले तीन साल में यह न्यूनतम व्यापार घाटा है। निर्यात के मुकाबले धीमी होती आयात की रफ्तार का मतलब है कि व्यापार संतुलन को लेकर सरकार की चिंताएं कम होना। सरकार के खजाने की मौजूदा स्थिति में 120 से 125 अरब डॉलर का व्यापार संतुलन आदर्श स्थिति है। इससे अधिक होने पर सरकार का राजकोषीय संतुलन भी बिगड़ सकता है। मगर अब सरकार के सामने यह दिक्कत नहींआएगी। विदेश व्यापार से होने वाली आय और विदेश में किए जाने वाले भुगतान के अंतर को व्यापार संतुलन कहा जाता है। वाणिज्य सचिव ने बताया कि दिसंबर में निर्यात के मामले में जिन क्षेत्रों ने बेहतर प्रदर्शन किया उनमें इंजीनियरिंग, रत्‍‌न व आभूषण, पेट्रोलियम उत्पाद, लेदर व इसके उत्पाद, कालीन और कॉटन आदि हैं। इस महीने इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में 112 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि कोलंबिया जैसे लैटिन अमेरिकी देशों से मिले ऑर्डर की वजह से हुई है। हालांकि खुल्लर ने कहा कि अब अमेरिकी और यूरोपीय यूनियन से मिलने वाले ऑर्डर की संख्या भी बढ़ने लगी है। खुल्लर ने कहा कि निर्यात की मौजूदा रफ्तार से सरकार को भरोसा है कि चालू वित्त वर्ष में निर्यात का 200 अरब डॉलर का लक्ष्य न केवल प्राप्त हो जाएगा बल्कि इससे ऊपर निकलकर सरकार 215 से 225 अरब डॉलर का निर्यात करने में सफल होगी। आमतौर पर वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में निर्यात की रफ्तार सबसे अधिक रहती है। इसलिए बाकी के तीन महीने में भी सरकार को निर्यात के मोर्चे पर वृद्धि दर की यही रफ्तार बने रहने की उम्मीद है।

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