कर्नाटक द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के असर से लगातार छठे महीने लौह अयस्क का निर्यात प्रभावित रहा। दिसंबर 2010 में इसमें 24.64 फीसदी की कमी आई और यह 96.9 लाख टन रहा। दिसंबर 2009 में 1.29 करोड़ टन लौह अयस्क का निर्यात किया गया था। खनिज निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फिमी) के महासचिव आरके शर्मा ने कहा कि जुलाई में कर्नाटक में लगाए गए प्रतिबंध के कारण उद्योग प्रभावित हो रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि अगले महीने जब सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी तो इसका हल निकल आएगा। उद्योग को उम्मीद है कि कर्नाटक सरकार शीर्ष अदालत के निर्देश के तहत फरवरी के मध्य तक अवैध खनन को रोकने के लिए प्रणाली स्थापित करेगी। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से अवैध खनन के खिलाफ नए कानून को दो सप्ताह के भीतर अधिसूचित करने या फिर निर्यात के लिए लौह अयस्क के परिवहन की इजाजत देने को कहा था। न्यायालय ने कहा था कि प्रतिबंध लंबे समय तक कायम नहीं रह सकता। इससे पहले कर्नाटक सरकार ने अवैध खनन पर रोक लगाने के मकसद से लौह अयस्क और अन्य खनिजों के राज्य से परिवहन के लिए परमिट जारी करने करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध छह महीने के लिए लगाया गया था। यह अवधि 31 जनवरी को समाप्त हो रही है। यह पूछे जाने पर कि उड़ीसा सरकार भी अंतरराज्यीय व्यापार पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, आरके शर्मा ने कहा कि यह मामला केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य सरकार ऐसा नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में आई बाढ़ के कारण मांग और आपूर्ति में अंतर है। जब तक स्थिति नहीं सुधरती, कीमत चढ़ेगी। ऐसी स्थिति में अगर कर्नाटक सरकार प्रतिबंध नहीं लगाती तो देश को काफी लाभ होता। दिसंबर में समाप्त चालू वित्त वर्ष 2010-11 के नौ महीनों में लौह अयस्क का निर्यात 17.02 फीसदी बढ़कर 6.44 करोड़ टन रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में 7.76 करोड़ टन था। भारत तीसरा सबसे बड़ा लौह अयस्क निर्यातक देश है। पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में 21.8 करोड़ टन लौह अयस्क का उत्पादन किया गया था। देश अपने कुल निर्यात में से 80 फीसदी चीन को भेजता है जो दुनिया का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है।
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