भारत अगले तीन साल में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा यात्री वाहन बाजार बन जाएगा। हालांकि, देश को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए 20 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। इसके साथ ही मांग को पूरा करने के लिए नौ नए निर्माण संयंत्र लगाने की भी जरूरत पड़ेगी। वैश्विक सलाहकार बूज एंड कंपनी का कहना है कि अगले तीन साल में भारत का यात्री वाहन बाजार 35 लाख इकाई के आंकड़े को छू जाएगा। बूज एंड कंपनी के भागीदार विकास सहगल ने कहा कि अगले तीन साल में यात्री वाहन बाजार के मामले में भारत का स्थान अमेरिका, चीन और जापान के बाद होगा। वर्तमान में इस मामले में देश दुनिया में सातवें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि यह सालाना 15-20 फीसदी दर से बढ़ रहा है। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के अनुसार, वर्ष 2009-10 में यात्री वाहन बाजार 20 लाख इकाई था। चालू वित्त वर्ष में इसके 24 लाख इकाई पर पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 तक भारत इस मामले में जापान को भी पछाड़ देगा। उस समय तक यात्री वाहन बाजार 50 लाख इकाई पर पहुंच जाएगा। सलाहकार कंपनी का मानना है कि इतने विशाल आकार को हासिल करने के लिए वाहन कंपनियों को क्षमता विस्तार करना होगा। अगले तीन साल में भारत को छह-नौ नए संयंत्रों की जरूरत होगी। साथ ही उत्पादन क्षमता सालाना डेढ़ लाख इकाई बढ़ाने की जरूरत होगी। वाहन कंपनियों को अपने वितरण नेटवर्क को भी बढ़ाने की जरूरत होगी। साथ ही कलपुर्जे आपूर्ति में वृद्धि और शोध व विकास गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी। ऑटोमोटिव मिशन योजना (एएमपी) के तहत वर्ष 2016 तक भारतीय बाजार को 145 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए 35-40 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार, वर्ष 2011 के दौरान यात्री वाहन बाजार की वृद्धि दर कम होकर 15 फीसदी पर आ जाएगी। मुद्रास्फीतिक दबाव और उत्पादन क्षमता में भारी विस्तार के कारण कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होगा।
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