बेहतर राजस्व संग्रह के चलते सरकार अगले वित्त वर्ष में राजस्व लक्ष्य बढ़ाने पर विचार करने लगी है। उम्मीद है कि नए साल के बजट में वित्त मंत्री राजस्व के अपने लक्ष्य में 12-15 प्रतिशत तक की वृद्धि करें। हालाकि राजस्व में यह वृद्धि कर संग्रह के बजाय कर रियायतों की वापसी से होने वाली बचत पर ज्यादा निर्भर करेगी। चालू वित्त वर्ष में सरकार के राजस्व को रफ्तार देने में गैर कर राजस्व की बड़ी भूमिका रही है। अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ने के साथ साथ कर संग्रह में भी तेजी आई है। लिहाजा सरकार चालू वित्त वर्ष में राजस्व 6,82,212 करोड़ रुपये के लक्ष्य से भी ऊपर जाने की उम्मीद कर रही है। नवंबर तक सरकार इसमें से 4,76,716 करोड़ रुपये प्राप्त कर चुकी है। यह कुल राजस्व लक्ष्य का करीब 70 प्रतिशत है। सरकार कुल कर राजस्व का 55 प्रतिशत हासिल कर चुकी थी। जबकि गैर कर राजस्व की मद में 121 प्रतिशत की बढ़त नवंबर तक हो चुकी थी। सूत्र बताते हैं कि राजस्व में वृद्धि की इस रफ्तार को देख कर ही वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष के राजस्व लक्ष्य को 12 से 15 प्रतिशत तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है। हालांकि जिस तरह इस साल सरकार की आमदनी बढ़ाने में विनिवेश और 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिली राशि की बड़ी भूमिका रही, उसी तरह अगले साल सरकार विनिवेश और मुख्यत: कर रियायतों में वापसी से होने वाली बचत पर निर्भर करेगी। कर रियायतों में वापसी को लेकर न सिर्फ वित्त मंत्रालय बल्कि वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधिकारी भी मान रहे हैं कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ने के बाद अब उन क्षेत्रों के लिए कर रियायतों को बनाए रखने का कोई मतलब नहीं रह गया है जो अपने पुराने स्तर पर लौट चुके हैं। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने भी पिछले दिनों कहा कि जो क्षेत्र निर्यात में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं उनके लिए रियायतें बनाए रखने की जरूरत नहीं है। साल 2008 की वैश्विक मंदी से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार ने उद्योगों को घरेलू बाजार और विदेशी बाजार में अपनी जगह बनाने के लिए कई रियायतें दी थीं। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के लिए उत्पाद व सीमा शुल्क में कमी की गई थी जबकि निर्यात क्षेत्रों को प्री व पोस्ट शिपमेंट क्रेडिट की दरों में बढ़ोतरी के साथ- साथ ड्यूटी ड्रा बैक दरों को बढ़ाकर राहत दी गई थी। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की कुछ रियायतें चालू वित्त वर्ष के बजट में वापस ली जा चुकी हैं। अब निर्यातकों को दी गई रियायतों में वापसी की बारी है। इसके अतिरिक्त वित्त मंत्रालय को अगले वित्त वर्ष में भी विनिवेश से भारी भरकम राशि मिलने की उम्मीद है। इंडियन ऑयल, एमएमटीसी, हिंदुस्तान कॉपर जैसी बड़ी कंपनियों के पब्लिक इश्यू पूंजी बाजार में आने हैं। इनके अलावा भी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों में संभावनाएं तलाश रही है। गैर कर राजस्व के रूप में यह राशि भी सरकार के राजस्व को बढ़ाएगी।
No comments:
Post a Comment