देश में चीनी का उत्पादन मांग के मुकाबले अधिक रहने की संभावना है। ऐसे में सरकार ने शुक्रवार को चीनी के आयात पर शून्य शुल्क व्यवस्था खत्म करने का फैसला कर लिया है। इससे चीनी के आयात पर फिर से 60 प्रतिशत शुल्क लागू हो जाएगा। चीनी वर्ष 2008-09 (अक्टूबर-सितंबर) में उत्पादन काफी घट गया था। इसके चलते देश में चीनी की कीमतें पिछले साल जनवरी की शुरुआत में 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं। चीनी के दामों को काबू में लाने की खातिर वर्ष 2009 की शुरुआत में आयात शुल्क खत्म कर दिया गया था, ताकि घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति बढ़े। इससे पहले चीनी आयात पर 60 प्रतिशत शुल्क लगता था। शुल्क मुक्त आयात की व्यवस्था 31 दिसंबर, 2010 तक लागू थी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि शुल्क मुक्त आयात की अधिसूचना शुक्रवार को खत्म हो रही है। मौजूदा हालात को देखते हुए अब नई अधिसूचना जारी करने की कोई जरूरत नहीं है। इससे स्वत: ही 60 प्रतिशत शुल्क लागू हो जाएगा। अगर आगे चलकर जरूरत पड़ी तो सरकार फिर आयात शुल्क में कटौती कर सकती है। वर्ष 2008-09 में देश में चीनी का उत्पादन घटकर 1.47 करोड़ टन पर आ गया था, जबकि सालाना मांग 2.3 करोड़ टन की है। घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ाने के लिए फरवरी, 2009 से अब तक भारत करीब 60 लाख टन चीनी का आयात कर चुका है। वर्ष 2009-10 में चीनी उत्पादन सुधरकर 1.90 करोड़ टन पर पहुंच गया, लेकिन मांग के मुकाबले यह कम था। हालांकि चालू चीनी वर्ष में उत्पादन बढ़कर 2.45 करोड़ टन पर पहुंचने की संभावना है। इसके अलावा आयातित चीनी का भंडार भी बचा हुआ है। यानी खपत के मुकाबले चीनी की घरेलू उपलब्धता अधिक रहेगी। इसी को देखते हुए ही सरकार ने चीनी में वायदा कारोबार की भी अनुमति दे दी है। यह अलग बात है कि खुदरा बाजार में चीनी के दाम तीन महीनों में 21 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। फिलहाल इसकी खुदरा कीमतें 34-35 रुपये प्रति किलो के आसपास हैं।
No comments:
Post a Comment