अब तक बढ़चढ़ कर महंगाई घटने का दावा करने वाली प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) को भी खुद पर भरोसा नहीं रहा। तभी तो उसने तीसरी बार अपने अनुमानों में संशोधन किया है। खाद्य और सामान्य महंगाई की मौजूदा चाल से परिषद के सारे अनुमान पीछे छूटते जा रहे हैं। अब इसने चालू वित्त वर्ष के अंत तक महंगाई दर के अनुमान को आधा फीसदी बढ़ाकर सात फीसदी कर दिया है। इससे पहले पीएमईएसी ने मार्च तक मुद्रास्फीति की दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर दिसंबर में उम्मीद से कहीं अधिक रहने के बाद पीएमईएसी ने ताजा संशोधन किया है। पीएमईएसी के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा कि हमने पहले मार्च अंत तक 6.5 फीसदी की मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया था। पर अभी जो रुख है उसे देखते हुए लगता है कि यह 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच कुछ भी रह सकती है। दिसंबर में सामान्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.43 प्रतिशत पर पहुंच गई है। खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ने से इसमें तेजी आई है। पीएमईएसी ने सबसे पहले मार्च अंत तक मुद्रास्फीति की दर 5.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया था। बाद में इसे बढ़ाकर पहले छह प्रतिशत और बाद में 6.5 प्रतिशत कर दिया गया। रंगराजन ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी 25 जनवरी की मौद्रिक नीति की समीक्षा में महंगाई पर अंकुश के कुछ उपाय करने चाहिए। दिसंबर के आंकड़े हमारी उम्मीदों से कहीं अधिक रहे हैं। महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह सब्जियों, फल, अंडा, मांस और मछली के दामों में बढ़ोतरी है। उन्होंने कहा कि हालांकि आगामी सप्ताह में मौसमी कारण और सरकार के कदमों से महंगाई की दर नीचे आ सकती है। मुझे लगता है कि जनवरी में महंगाई की दर दिसंबर से कम रहेगी। सरकार ने हाल म ंमहंगाई पर अंकुश के कई कदमों की घोषणा की है। खाद्य तेलों, दालों और गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध को जारी रखा गया है। इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे आवश्यक वस्तुओं पर स्थानीय कर को खत्म करें।
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