तो सरकारी आंकड़ों में महंगाई की दर काबू में आती दिख रही है और न ही बाजार में। हालात अगले वर्ष भी सुधरते नहीं दिख रहे। महंगाई की डायन का तांडव नए साल में भी जारी रहने की आशंका है। होम लोन महंगे होने से लेकर स्टील, वाहन, गहने व रेडीमेड कपड़ों तक की कीमतों में और वृद्धि की सूरत बन रही है।
बढ़ेगी होम लोन की किस्त : वर्ष 2010 में रिजर्व बैंक सीआरआर में तीन बार और अल्पकालिक कर्ज दरों (रेपो रेट व रिवर्स रेट) में छह बार वृद्धि कर चुका है। इससे होम लोन की दरों में औसतन एक से दो फीसदी तक वृद्धि हो चुकी है। आकर्षक ब्याज दरों वाली (टीजर) स्कीमें भी बंद हो चुकी हैं। होम लोन के महंगा होने का सिलसिला आगे और तेज हो सकता है। खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 15 फीसदी के नजदीक है और सामान्य महंगाई की दर भी दहाई अंकों के पास है। ऐसे में रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ब्याज दरों को फिर बढ़ा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो होम, पर्सनल और ऑटो लोन महंगे होंगे।
साइकिल-कार भी होंगी महंगी : नए वर्ष में नई कार खरीदने के लिए आपको ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। मारुति, हुंडई, महिंद्रा, फोर्ड, जनरल मोटर्स सहित तमाम कार कंपनियां जनवरी, 2011 से अपनी कारों की कीमतों में 1.5 से 2 फीसदी तक की वृद्धि करने जा रही हैं। यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना है, क्योंकि दिसंबर, 2010 में ही स्टील की कीमतें 4 फीसदी बढ़ी हैं, जबकि अभी हाल में रेलवे ने आयरन ओर पर भाड़ा चार फीसदी बढ़ाया है। कई प्रमुख स्टील कंपनियां एक जनवरी, 2011 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करने का एलान पहले कर चुकी हैं। टायरों के भी दाम बढ़ने जा रहे हैं। कच्चा माल महंगा होने के चलते साइकिल कंपनियों ने भी 3-4 फीसदी दाम बढ़ाने की घोषणा की है। वहीं कार कंपनियों पर आगे भी कीमत वृद्धि का दबाव रहेगा। पेट्रोल, डीजल व सीएनजी महंगी होने से वाहन खरीदना ही नहीं, बल्कि इन्हें चलाने के लिए भी ज्यादा पैसा खर्च करना होगा।
रसोई का बिगड़ेगा बजट : नए वर्ष में रसोई घर के बजट पर अतिरिक्त बोझ पड़ने की पूरी तस्वीर बन रही है। रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को ज्यादा दिनों तक टालना मुश्किल लग रहा है। चीनी की कीमतें फिर से बढ़ने लगी है। दूध के दाम वर्ष 2010 में तीन बार बढ़े हैं। आगे भी विदेशी बाजारों में मांग ज्यादा होने की वजह से मूल्य वृद्धि की संभावना बरकरार है। मसालों की पैदावार को लेकर भी अच्छी खबरें नहीं आ रही हैं। पोल्ट्री उत्पादों की कीमतें भी पिछले एक महीने में काफी बढ़ी हैं, जो आगे भी मजबूत बनी रहेंगी। हां, अनाज (गेहूं, चावल) व दलहन की पैदावार अच्छी होने से कुछ राहत मिलेगी।
भारी पड़ेगा गहनों-कपड़ों का शौक : वर्ष 2010 में सोना व चांदी ने महंगाई के नए रिकार्ड बनाए हैं। भारत के साथ ही चीन में भी इन दोनों धातुओं की मांग में जबरदस्त तेजी देखी गई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का अनुमान है कि वर्ष 2011 में भारत व चीन में सोने की मांग और तेज हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें तो सोने की कीमतें और बढ़ने वाली हैं। वर्ष 2010 में जनवरी से लेकर दिसंबर के बीच सोने की कीमतों में लगभग 4400 रुपये प्रति 10 ग्राम की वृद्धि हो चुकी है। इस दौरान चांदी के दाम तो 19 हजार 400 रुपये प्रति किलो तक बढ़े हैं। इसी तरह से कपास बाजार में तेजी की वजह से रेडीमेड कपड़ों के निर्माता कीमतें और बढ़ा सकते हैं।
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