वर्ष घाटा(करोड़ रु में) प्रतिशत
2003-04 1,23,273 4.5
2004-05 1,25,794 4.0
2005-06 1,46,435 4.1
2006-07 1,42,573 3.5
2007-08 1,26,912 2.7
2008-09 3,36,992 6.0
2009-10 4,14,041 6.7
2010-11 3,81,408 5.5
नोट : 2010-11 के आंकड़े अनुमानित हैं घाटे का इतिहास
तैयार रहिए, भारतीय अर्थव्यवस्था न सिर्फ आपको, बल्कि नए साल में पूरी दुनिया को चौंका सकती है। वैश्विक मंदी के बाद जहां तमाम बड़े देश अब भी घाटे की अर्थव्यवस्था से परेशान हैं, वहीं भारत 2011 में अपने घाटे को काबू में रखकर पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने की तैयारी में है। घरेलू अर्थव्यवस्था के इस स्थिति में आने की वजह न सिर्फ सरकार का कुशल बजटीय प्रबंधन है, बल्कि घरेलू खपत में बढ़ोतरी और तेज औद्योगिक उत्पादन भी इसके हिस्सेदार हैं। सरकार का खजाना लबालब भरने को है। कर राजस्व संग्रह लक्ष्य से कुछ आगे ही चल रहा है। खर्चो को सीमित रख सरकार ने अपनी उधारी को भी लक्ष्य से कम कर लिया है। लिहाजा राजकोषीय मोर्चे पर सरकार काफी मजबूत स्थिति में दिख रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था की यह उपलब्धि इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि वैश्विक मंदी के बाद दुनिया के तमाम बड़े देश अभी तक नहीं उबर पाए हैं। यूरोप तो कर्ज संकट में ऐसा फंसा है कि वहां आयरलैंड और ग्रीस जैसे कई देशों की सरकारें दिवालिया होने के कगार पर आ गई। ऐसे में भारत अपने घाटे को काबू में रखकर दो अंक की विकास दर हासिल करने की तरफ बढ़ रहा है। इस साल अर्थव्यवस्था की रफ्तार का आंकड़ा नौ प्रतिशत के नजदीक तो पहुंच ही जाएगा। अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ वित्तीय तंत्र को ज्यादा पारदर्शी बनाने की कवायद भी हो रही है। सभी सरकारी विभागों और कंपनियों का ऑडिट करने वाले नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) को सभी स्वायत्तशासी संस्थाओं के ऑडिट का अधिकार देने की भी तैयारी है। टैक्स ढांचे को ज्यादा उदार और सरलीकृत बनाने के लिए इस साल नया प्रत्यक्ष कर कानून और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून लागू करने की कोशिशों में भी सरकार जुटी हुई है। सरकार के खजाने में कर और गैर कर दोनों तरह के राजस्व की हिस्सेदारी इस साल अच्छी रही है। खजाने में 5,34,094 करोड़ रुपये के कर राजस्व का अनुमान लगाया गया है। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की रफ्तार और कंपनियों के प्रदर्शन से संकेत मिल रहे हैं कि इस साल सरकार को अनुमान से ज्यादा कर राजस्व भी मिल सकता है। ऐसी ही कुछ स्थिति गैर कर राजस्व में भी है। विनिवेश और 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिली राशि ने इस साल सरकार के राजस्व को बढ़ाने में मददगार साबित हुई है। दूसरी तरफ सरकार ने अपने खर्च प्रबंधन में भी सुधार किया है। बजटीय प्रबंधन के तहत पोषक तत्वों पर आधारित सब्सिडी की नीति अपना कर सरकार ने उर्वरक सब्सिडी का बोझ कम करने की पहल की है। इस साल इसके अच्छे नतीजे मिलने की उम्मीद है। इसके चलते सरकार को बाजार से भी दस हजार करोड़ रुपये कम कर्ज लेने की आवश्यकता होगी। सरकार की इन सब कोशिशों का नतीजा यह होगा कि राजकोषीय घाटे को 5.5 प्रतिशत के लक्ष्य तक सीमित रखा जा सकेगा। राजस्व का प्रवाह इसी तरह बना रहा तो सरकार राजकोषीय घाटे को लक्ष्य से भी नीचे रखकर सबको चौंका सकती है।
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